BJP Jharkhand Assembly Election Result 2019: झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 के रूझान आने शुरू हो गए हैं. शाम तक नतीजे भी आ जाएंगे. एग्जिट पोल के मुताबिक यहां त्रिशंकु विधानसभा के आसार बन रहे हैं. अभी तक आए रुझानों की भी माने तो बीजेपी 32 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. झारखंड मुक्ति मोर्च (JMM) कांग्रेस और आरजेडी का गठबंधन 34 सीटों पर आगे चल रहा है. झारखंड विकास मोर्चा (JVM) पांच सीटों पर बढ़त बनाए हुए है वहीं आजसू (AJSU) को छह सीटों पर बढ़त हासिल है. बता दें कि 81 सीटों वाली झारखंड विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 41 है.
एग्जिट पोल हों या अब तक आ रहे रुझान, एक बात तो लगभग तय मानी जा रही है कि किसी को भी स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता दिख रहा. ऐसे में सरकार बनाने के लिए हर तरह के तिकड़म और समीकरणों पर बात हो रही है. चर्चा है कि बीजेपी और आजसू साथ आ सकते हैं. हालांकि इसके बावजूद बीजेपी को बहुमत का आंकड़ा छूने में परेशानी हो सकती है. ऐसे में बीजेपी की नजरें झारखंड के पहले मुख्यमंत्री और झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी पर होगी. अगर मरांडी भी बीजेपी के साथ आ जाते हैं तो झारखंड में बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब हो सकती है.
विपक्ष के पास क्या है मौका?
झारखंड में पहली बार पांच साल तक एक स्थिर सरकार देने वाले बीजेपी के मुख्यमंत्री रघुवर दास पिछली बार पीएम मोदी के पक्ष में चल रही लहर पर सवार होकर आए थे. इस बार परिस्थितियां दूसरी थीं. लोगों ने रघुवर दास के पांच साल के काम के आधार पर उनका मूल्यांकन किया. रुझान बता रहे हैं कि लोग बहुत खुश नहीं थे. हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता खुलता हुआ नजर भी आ रहा है. लेकिन इसके लिए उन्हें महाराष्ट्र की तरह विपक्षी एकता दिखानी होगी. झामूमो, कांग्रेस और राजद का गठबंधन सबसे अधिक सीटें जीतने जा रहा है. हालांकि बहुमत के जादुई आंकड़े से वो भी दूर दिख रहे हैं.
आदिवासी CM के नाम पर हेमंत सोरेन कर सकते हैं बड़ा खेल!
ऐसे में अगर आदिवासी मुख्यमंत्री के नाम पर हेमंत सोरेन जेवीएम के मुखिया बाबूलाल मरांडी को मनाने में कामयाब हो पाए तो बात बन सकती है. बता दें कि झारखंड बनने के बाद पहली बार एक गैर आदिवासी, झारखंड का मुख्यमंत्री बना है. ऐसे में इस मुद्दे पर हेमंत सोरेन भुना सकते हैं. आजसू को राजनीतिक पंडित बीजेपी की बी टीम कह रहे हैं.
हालांकि महाराष्ट्र में हमने देखा कि दशकों पुरानी बीजेपी-शिवसेना की दोस्ती भी टूटी और शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार भी बनाई. ऐसे में अगर हेमंत सोरेन अपने पत्ते ठीक तरीके से खेलते हैं तो बीजेपी के लिए सरकार बनानी मुश्किल हो जाएगी. हालांकि महाराष्ट्र में हाथ जला चुकी बीजेपी इस बार ऐसी कोई गलती नहीं करना चाहेगी.
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