पशुपति पारस ने कहा कि इस चांडाल की वजह से ही वे अपने बड़े भाई, जो भगवान के समान थे, को अंतिम समय में नहीं देख पाए। उन्होंने दावा किया कि उन्हें और उनके परिवार को बड़े भाई से मिलने नहीं दिया गया।
पटनाः बीते गुरुवार को लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का स्थापना दिवस मनाया गया। इस मौके पर लोजपा के प्रमुख चिराग पासवान ने कहा कि पार्टी उनके पिता के सपनों को पूरा करने के लक्ष्य की ओर मजबूती से बढ़ रही है। वहीं दूसरी ओर, चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस ने अपने भतीजे पर सालों की भड़ास निकाली और उन्हें चांडाल तक कह दिया।
चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस ने लोजपा के स्थापना दिवस पर पैतृक गांव खगड़िया के शहरबन्नी गांव में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने नाम लिए बिना चिराग पासवान को चांडाल तक कह दिया। पशुपति पारस ने कहा कि इस चांडाल की वजह से ही वे अपने बड़े भाई, जो भगवान के समान थे, को अंतिम समय में नहीं देख पाए। उन्होंने दावा किया कि उन्हें और उनके परिवार को बड़े भाई से मिलने नहीं दिया गया।
पशुपति पारस ने कहा कि कोरोना का हवाला देकर उन्हें और उनके परिवार के किसी भी सदस्य को बड़े भाई साहब से मिलने नहीं दिया गया। जबकि अंतिम समय में बड़े भाई रामविलास पासवान परिवार के सभी लोगों को खोज रहे थे। पशुपति पारस ने कहा कि जो जैसा कर्म करेगा, उसे वैसा ही फल मिलेगा। मैं सत्य पर हूं और सत्य की हमेशा जीत होती है।
8 अक्टूबर साल 2020 में लोजपा सुप्रीमो के निधन के बाद पार्टी में दरार पड़ गई। चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस एक दूसरे से अलग राय रखने लगे। आखिर में 14 जून 2021 को लोक जनशक्ति पार्टी टूट गई। पशुपति पारस ने लोजपा के पांच सांसदों को अपने पक्ष में कर लिया और चिराग को पार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया। यहीं से लोजपा दो हिस्सों में बंट गई और चाचा-भतीजे में कड़वाहट बढ़ती चली गई। पहला राउंड पशुपति पारस के नाम रहा जब वह चार सांसदों को साधकर केंद्र में मंत्री बनने में कामयाब हो गये जबकि दूसरा राउंड चिराग पासवान के नाम। लोकसभा चुनाव में पांच सीटें जीतकर चिराग पासवान अब केंद्र में मंत्री हैं।
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