साहित्य और साहित्यकारों के गढ़ वाराणसी में 7 मार्च से तीन दिवसीय बनारस लिट फेस्ट शुरू हो गया है। शुक्रवार को वाराणसी के होटल ताज के दरबार हॉल में असम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य ने इस फेस्टिवल का उद्घाटन किया।
वाराणसी। साहित्य और साहित्यकारों के गढ़ वाराणसी में 7 मार्च से तीन दिवसीय बनारस लिट फेस्ट का शुभारंभ हो गया है। शुक्रवार को वाराणसी के होटल ताज के दरबार हॉल में असम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य ने इस फेस्टिवल का उद्घाटन किया। लिट फेस्ट के तीसरे संस्करण में राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य के साथ-साथ राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, नोबल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी, राज्यमंत्री रवींद्र जायसवाल, जाने माने राइटर अमोल पालेकर, इला अरुण , शिक्षा बोर्ड के चयरमैन एनपी सिंह समेत कई बड़े हस्तियां शामिल हुईं।
इस मौके पर असम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य ने कहा कि काशी साहित्य की नगरी है। यहां के साहित्य को उत्सवी स्वरूप देकर बहुत बड़ा काम किया गया है। वर्तमान में देश गौरव की ओर बढ़ रहा है। इस गौरव की वृद्धि में साहित्य की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। काशी में अब भी बहुत सी ऐसी पांडुलिपियां हैं, जिन्हें पुस्तक के रूप में बदलने की जरूरत है। मुझे उम्मीद है कि बनारस लिट फेस्ट इस कार्य को पूर्ण करने में अपनी भूमिका का पूरी कर्मठता से निर्वाह करेगा। काशी ने अनादि काल से संपूर्ण संसार का नेतृत्व किया है।
कार्यक्रम में शामिल हुए राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा कि मैं इस बात से बेहद खुश हूं कि डॉ. शिवप्रसाद गुप्त जैसी महान विभूति को इस उत्सव में याद किया गया है। काशी वह धरती है जिसने एक से बढ़कर एक विभूतियों को जन्म दिया है। ऐसी विभूतियों की परंपरा को आगे बढ़ाने का काम बनारस लिट फेस्ट के माध्यम से किया जा रहा है। मुझे यह कहने में कोई संदेह नहीं है कि बनारस लिट फेस्ट ने बहुत ही कम समय में अपनी विशेष पहचान बनाई है। वैसे तो देश में साहित्य उत्सवों की भरमार है लेकिन बनारस लिट फेस्ट की बात सबसे अलग है। इसी प्राचीन नगरी ने आधुनिक हिंदी को जन्म दिया। मुझे पूरा विश्वास है कि इस उत्सव से राष्ट्र गौरव का संदेश मुखर होगा।
नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि बनारस लिट फेस्ट के रूप में जो सपना देख गया है, यह सपना आप सब के समवेत प्रयास से यथार्थ में परिवर्तित हुआ है। इसे निरंतर बनाए रखने के लिए इस सपने को और बड़ा करके देखना होगा। तभी हम उस लक्ष्य तक पहुंच सकेंगे, जिसके लिए यह आयोजन किया गया है। देश में ही ही नहीं पूरे विश्व में साहित्य, कला, संगीत, आध्यात्म की बातें बनारस की चर्चा के बिना अधूरी रहेंगी। काशी ने हमेशा से पूरी दुनिया को दिया है। मेरा विश्वास है कि संसार की समस्त समस्याओं का समाधान भारतीय दर्शन में है और दर्शन का मूल हमारे साहित्य में है।
संयुक्त राष्ट्र संघ की पूर्व सहायक महासचिव लक्ष्मी पुरी ने कहा कि बनारस भारतीय सम्भ्यता का केंद्र सदा से रहा है। रचनात्मकता और सृजन का उद्गम इसी भूमि से हुआ है। इतिहास से भी पुरानी इस नगरी में बनारस लिट फेस्ट नए इतिहास का सृजन कर रहा है। उद्घाटन सत्र में दीपक मधोक, राज्यमंत्री रवींद्र जायसवाल, साहित्यकार डॉ.नीरजा माधव, भारतीय शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन एनपी सिंह ने भी अपने विचार रखे।
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