महंत कौशल गिरि ने 2 दिन पहले ही आगरा के रहने वाली 13 साल की बच्ची संन्यास की दीक्षा दी थी। वह आगरा के स्प्रिंगफील्ड स्कूल में 9वीं कक्षा की छात्रा थी, उसके पिता पेठे का कारोबार करते हैं।
नई दिल्ली। प्रयागराज में महाकुंभ के अवसर पर साधु संतों का जमावड़ा लग रहा है। अनेक साधुओं के बारे में रोज नई खबरें सुनने को मिल रही है। इस बीच जूना अखाड़े के संत महंत कौशल गिरी के खिलाफ अखाड़े ने बड़ा फैसला लिया है। अखाड़े ने महंत कौशल गिरी को सात साल के निष्कासित कर दिया है। दरअसल महंत कौशल गिरी ने एक 13 साल की बच्ची को संन्यास की दीक्षा दी थी। जिसके बाद महंत कौशल गिरि को अखाड़े की परंपरा और नियम को तोड़ने पर श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा की आम सभा ने सर्वसम्मति से महंत कौशल गिरि को 7 साल के लिए अखाड़े से निष्कासित कर दिया है।
महंत कौशल गिरि ने 2 दिन पहले ही आगरा निवासी 13 वर्षीय राखी सिंह को संन्यास की दीक्षा दिलाई थी। राखी सिंह आगरा के स्प्रिंगफील्ड स्कूल में 9वीं की छात्रा थी, उसके पिता का आगरा में पेठा का कारोबार है। राखी सिंह का परिवार 26 दिसंबर को प्रयागराज महाकुंभ में आया था। जानकारी के मुताबिक दिनेश सिंह का परिवार कई सालों से श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के महंत कौशल गिरि से जुड़ा है।
पिता संदीप सिंह ने महाकुंभ में महंत कौशल गिरि को अपनी बेटी राखी का दान किया था। संन्यास की दीक्षा देने के बाद राखी सिंह का नाम गौरी गिरि रखा गया। राखी उर्फ गौरी गिरि ने खुद साध्वी बनने की इच्छा जताई थी। वह महंत कौशल गिरि से जुड़कर सनातन की सेवा करना चाहती थी। मामला सुर्खियों में आने के बाद जूना अखाड़े ने महंत के खिलाफ एक्शन लिया। जूना अखाड़े के प्रवक्ता श्री महंत नारायण गिरि ने बताया कि लड़की नाबालिग थी। ऐसे में उसे उसके घर आगरा भेजने का फैसला किया गया।
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