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देश का इकलौता किसान जिसके पास थी अपनी ट्रेन, कहानी जानकर रह जाएंगे दंग

रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को अक्सर घोषणा सुनने को मिलती है कि "रेलवे आपकी संपत्ति है", लेकिन आपने कभी किसी ने सोचा नहीं होगा कि खुद रेलवे की गलती से एक मामूली सा किसान पूरी ट्रेन का मालिक बन जाएगा। लुधियाना-चंडीगढ़ रेल लाइन के निर्माण के लिए रेलवे ने 2007 में किसानों की जमीन अधिग्रहित की थी।

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inkhbar News
  • March 15, 2025 12:53 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 month ago

नई दिल्ली: रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को अक्सर घोषणा सुनने को मिलती है कि “रेलवे आपकी संपत्ति है”, लेकिन आपने कभी किसी ने सोचा नहीं होगा कि खुद रेलवे की गलती से एक मामूली सा किसान पूरी ट्रेन का मालिक बन जाएगा। हालांकि बता दें यह मामला पंजाब के लुधियाना के कटाणा गांव से जुड़ा है, जहां एक किसान ने रेलवे के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी और कोर्ट के आदेश पर अमृतसर जाने वाली स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस को कुर्क कर लिया।

कैसे एक किसान बना ट्रेन का मालिक?

दरअसल, लुधियाना-चंडीगढ़ रेल लाइन के निर्माण के लिए रेलवे ने 2007 में किसानों की जमीन अधिग्रहित की थी। इस दौरान किसान संपूर्ण सिंह की जमीन भी रेलवे के अधिग्रहण में आ गई। रेलवे ने उन्हें 25 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा दिया, लेकिन बाद में पता चला कि उसी इलाके के दूसरे किसानों को 71 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से भुगतान किया गया। इस अन्याय के खिलाफ संपूर्ण सिंह ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

कोर्ट का आदेश

लंबी कानूनी लड़ाई के बाद कोर्ट ने रेलवे को संपूर्ण सिंह को 1.47 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। हालांकि रेलवे ने 2015 तक सिर्फ 42 लाख रुपये चुकाए और शेष 1.05 करोड़ रुपये देने में असफल रहा।

जब रेलवे ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया, तो 2017 में जिला एवं सत्र न्यायाधीश जसपाल वर्मा ने लुधियाना रेलवे स्टेशन पर ट्रेन और स्टेशन मास्टर के ऑफिस को कुर्क करने का आदेश दिया। इसके बाद संपूर्ण सिंह स्टेशन पहुंचे और वहां खड़ी दिल्ली-अमृतसर स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस को कुर्क कर लिया, जिससे वह कानूनी रूप से कुछ समय के लिए ट्रेन के मालिक बन गए। हालांकि कुछ ही मिनटों बाद सेक्शन इंजीनियर ने कोर्ट के अधिकारी के जरिये ट्रेन को मुक्त करा लिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मामला अब भी कोर्ट में लंबित है और किसान को अब तक पूरी रकम नहीं मिली।

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