2025 चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल में मोहम्मद शमी मैच के दौरान खुलेआम जूस पिते दिखे थे. इसके बाद से उनकी काफी आलोचना हो रही है.
नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के अनुभवी तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी 2025 चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान रोजा न रखने को लेकर चर्चा में आ गए हैं। सोशल मीडिया पर कई फैंस और धार्मिक संगठनों ने इस मुद्दे पर अपनी राय दी है। पाकिस्तान के कुछ पूर्व क्रिकेटरों ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी। सेमीफाइनल मुकाबले के दौरान जब शमी को मैदान पर जूस पीते हुए देखा गया, तो इसे लेकर कुछ लोगों ने उनकी आलोचना शुरू कर दी।
हालांकि, इस मामले पर मुस्लिम बोर्ड ने शमी का समर्थन करते हुए कहा कि जब कोई खिलाड़ी सफर में हो, तो उसे रोजा न रखने की अनुमति होती है। इस्लाम में कुछ विशेष परिस्थितियों में रोजा छोड़ने की रियायत दी गई है, जैसे कि यात्रा के दौरान या तबीयत खराब होने पर। ऐसे में शमी का रोजा न रखना धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ नहीं माना जा सकता।
शमी की आलोचना करने वाले कुछ लोग दक्षिण अफ्रीका के पूर्व बल्लेबाज हाशिम अमला का उदाहरण दे रहे हैं। उनका कहना है कि अमला ने रोजा रखते हुए शानदार पारियां खेली थीं, इसलिए शमी भी ऐसा कर सकते थे। हालांकि, यह दावा पूरी तरह सही नहीं है। अमला ने खुद एक इंटरव्यू में स्पष्ट किया था कि जब उन्होंने 300 रन की पारी खेली थी, तब वे रोजे से नहीं थे।
Badaruddin Siddiqui, the childhood coach of Indian pacer Mohammed Shami, defended the star bowler amid controversial remarks by All India Muslim Jamaat President, Maulana Shahabuddin Razvi Bareilvi for not observing ‘Roza’ during Ramzan.#MohammedShami #greaterjammu pic.twitter.com/kcC4wf26qN
— Greater jammu (@greater_jammu) March 7, 2025
#WATCH | Delhi | On Maulana Shahabuddin Razvi Barelvi's statement on cricketer Mohammed Shami, Imam Shahban Bukhari of Jama Masjid says, "…He (Mohammed Shami) should not be trolled. Shariat allows us both ways – if he (Mohammed Shami) is on a journey, he can keep Roza (fast) or… pic.twitter.com/JXrmY4NXx1
— ANI (@ANI) March 7, 2025
तेज गेंदबाजी करने के लिए जबरदस्त ऊर्जा और फिटनेस की जरूरत होती है। लंबे समय तक बिना पानी और भोजन के तेज गेंदबाजी करना किसी भी खिलाड़ी के लिए मुश्किल हो सकता है। खासतौर पर अंतरराष्ट्रीय मैचों के दौरान, जब दबाव अधिक होता है, तब हर खिलाड़ी को अपनी फिटनेस और प्रदर्शन के अनुसार निर्णय लेना पड़ता है। इस विवाद के बावजूद, मोहम्मद शमी ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है और वे अपने खेल पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। क्रिकेट जगत में कई खिलाड़ी अपनी धार्मिक आस्थाओं और खेल के बीच संतुलन बनाते हैं और यह हर खिलाड़ी का व्यक्तिगत निर्णय होता है।