नई दिल्ली. Amit Mishra Exclusive Interview: अमित मिश्रा भारत के एक ऐसे स्पिन गेंदबाज हैं, जो पिछले 17 साल से टीम में अंदर बाहर हो रहे हैं. अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद उन्हें टीम से क्यों निकाल दिया जाता है, ये उनकी समझ में आज तक नहीं आया है. आईपीएल में उनकी तीन हैटट्रिक बताती हैं कि अमित मिश्रा छोटे फारमेट के बड़े गेंदबाज हैं. इंडिया न्यूज टीवी के खेल संपादक राजीव मिश्रा को दिए गए एक विस्फोटक इंटरव्यू में अमित मिश्रा ने अपने दिल का दर्द बयान किया और कहा कि किसी भी खिलाड़ी को टीम से निकाले जाने पर उसे वजह जरूर बताई जानी चाहिए.
17 साल के सफर में 22 टेस्ट, 36 वनडे, और 10 टी20 मैच खेलने वाले अमित मिश्रा ने कहा, मेरे करियर में बहुत सारे अप एंड डाउन आए हैं. अपनी ओर से मैं परफार्म करता रहा, जब भी मौका मिला, मैंने परफार्म किया पर मुझे कभी समझ नहीं आया कि अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद मुझे क्यों हटा दिया जाता रहा. मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता रहा. अच्छा प्रदर्शन करने के अगले मैच में मुझे बाहर बैठा दिया जाता था.
एक बार मुझे मैच के दौरान इंजरी हुई. उस समय अनिल कुंबले टीम के कोच थे. अनिल भाई ने कहा ठीक होकर परफार्म करो और टीम में लौटो. मैं एनसीए गया लेकिन इसी दौरान मुझे कांट्रेक्ट से निकाल दिया गया जबकि नियमानुसार ऐसा नहीं होना चाहिए था. अमित ने कहा, मेरे लिए जीवन में क्रिकेट के सिवाय कुछ नहीं.इसलिए टीम में अंदर बाहर किए जाने को मैंने हमेशा चैलेंज के रूप में लिया, जिसने मुझे मदद भी बहुत की. टीम से हटाए जाने को मैंने अपने पर हावी नहीं होने दिया. गेंदबाजी अच्छी है, तब भी आपको बाहर निकाल दिया जाता है.
मुझे समझ नहीं आता कि मैं क्या कर सकता हूं कि मुझे लगातार खिलाया जाए. स्टेट के कोच तो कहते थे कि आपसा टेलेंट नहीं देखा पर टीम इंडिया को मैं समझ नहीं आया. कभी कभी तो डोमेस्टिक में 30-40 विकेट भी लेकर टीम में नहीं लौट पाया. मुझे अभी भी कोई बोले कि इस चीज को इंप्रूव करो तो मैं अभी भी इसके लिए तैयार हूं, पर ऐसा कुछ कोई कहता ही नहीं और तो और मुझे स्पिनर फ्रेंडली विकेट पर भी ड्रॉप कर दिया गया. कई खिलाड़ी ऐसे थे, जो परफार्म नहीं कर रहे थे और उनको चांस मिलता रहा, जबकि मैं परफार्म करके भी बाहर होता रहा. मैं परफार्म करता था और अगली सीरीज में बाहर बैठा होता था. सिर्फ एक बार धोनी ने मुझे कहा कि टीम के कंबीनेशन में आप फिट नहीं बैठ रहे. अब इसका मैं क्या कर सकता हूं.
मुझे क्लियरिटी मिलती तो मैं अपने आप को इंप्रूव करता. मुझे मेरे सवालों का जवाब किसी से नहीं मिला. सलेक्टरों ने कभी कोई जवाब नहीं दिया. उन्होंने यही कहा, बताते हैं, बताते हैं. विराट कोहली ने भी यही कहा कि बताता हूं। मैं डोमेस्टिक क्रिकेट में अच्छा परफार्म करता हूं. 12-13 साल से परफार्म कर रहा हूं. मुझ में कुछ तो ऐसी चीज होगी कि मैं इतने साल से टिका हुआ हूं. अमित मिश्रा ने बताया कि आईपीएल के प्रदर्शन ने उन्हें बार बार टीम में जगह दिलाई है. आईपीएल में परफारमेंस दिखती है. इस टूर्नामेंट में मैंने मुश्किल समय में विकेट निकाल कर दीं हैं. 17 साल में आपने अनेक चैलेंज देखे होंगे। ये लॉकडाउन का वक्त क्या सबसे बड़ा चैलेंजिंग टाइम है. अमित इस सवाल पर कहते हैं कि मैंने तो बड़े बड़े चैलेंज देखें हैं. उनके सामने ये क्या चैलेंज है। ये तो बहुत आराम का समय है। आप घर बैठें अपनी फिटनेस पर काम करते रहें ब बाहर न निकलें. घर में बैठना तो कोई चैलेंजिग नहीं है. हां, हम सभी को रूल्स फालो करने चाहिए.
जब अमित मिश्रा से पूछा गया, क्या आपको इस लॉकडाउन पीरियड में फिटनेस का कोई कार्यक्रम मिला था या कुछ मिलने वाला है, जिसे आप फॉलो करें. तो उन्होंने कहा कि क्रिकेट शुरू करने से पहले 3-4 सप्ताह का अभ्यास जरूरी है. जब हम क्रिकेट खेलते हैं तो हमारा एक नार्मन शेड्यूल होता है. उसमें कोई परिवर्तन होता है तो हम फिजियो या अपने ट्रेनर से बात करते हैं. अभी दिक्कत ये आ रही है, हम कोई समस्या आने पर अपने फिजियो से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं.
अमित से पूछा गया कि जैसे इंग्लैंड में सिंगल विकेट का अभ्यास शुरू हुआ है तो क्या आप भी ऐसा कुछ करने जा रहे हैं. जिस पर अनुभवी स्पिनर ने कहा, हम लोग गेंदबाजी एवं एक्शन में समस्या आने पर सिंगल विकेट डालते थे. एक्यूरेसी नहीं होने पर सिंगल विकेट पर काम करते थे. कोच साहब कहते थे कि जब घर जाएं तो पांच से छह ओवर सिंगल विकेट डाल के जाएं. इससे आपका प्रोपर रिदम हमेशा बना रहेगा. अब जबकि पूरे अभ्यास की बात है तो सामने बल्लेबाज नहीं मिलेगा तो आप कैसे सक्सेस करेंगे. आपको कैसे पता चलेगा कि आप अच्छी गेंद डाल रहे हैं या खराब डाल रहे हैं. कितनी अक्यूरेसी है और आपको बल्लेबाज कहां कहां मार सकता है. घर में बैठे हैं कुछ इंप्रूव करना है तो सही है पर आप कब तक सिंगल विकेट डालेंगे. यदि सिगल विकेट डाल कर मैच खेलने जाएंगे तो वहां तो सामने बल्लेबाज होगा। ऐसा कैसे चलेगा.
सलीवा का इस्तेमाल बैन कर दिया गया है. खिलाड़ियों की आदत का क्या होगा. इस सवाल के जवाब में अमित ने कहा, प्रैक्टिस सेसन में तो कोई समस्या नहीं होगी पर मैचों में समस्या आएगी. प्रैक्टिस के लिए तो आपको एक या दो गेंद दे दी जाएंगी, जिन्हें आपको ही यूज करना है लेकिन मैच में कैसे करेंगे. ये बड़ी समस्या है। देखना पड़ेगा कि बीसीसीआई या आईसीसी कोई ऐसा कोई लिक्विड देगी, जो गेंद पर लगाया जाएगा. मुझे लगता है ऐसा कोई नियम बनेगा. लेकिन प्रैक्टिस में तो आपको एक गेंद दे दी जाएगी, उसमें चाहे सलीवा लगाएं चाहे पसीना. अपने पास गेंद रखें दूसरे को नहीं दे सकते.
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