आज स्कंद षष्ठी का पर्व 3 फरवरी 2025 को मनाया जा रहा है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र, भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। हिंदू धर्म में प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को यह व्रत रखा जाता है।
नई दिल्ली: आज स्कंद षष्ठी का पर्व 3 फरवरी 2025 को मनाया जा रहा है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र, भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। हिंदू धर्म में प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को यह व्रत रखा जाता है। दक्षिण भारत में इसे विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है, जहां भगवान कार्तिकेय को मुरुगन के नाम से भी जाना जाता है।
1. प्रातःकालीन स्नान: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. मंदिर की सफाई: घर के मंदिर को साफ करें और प्रवेश द्वार पर चावल के आटे से रंगोली बनाएं।
3. प्रसाद तैयारी: भगवान के लिए घर पर ही प्रसाद तैयार करें।
4. प्रतिमा स्थापना: एक वेदी पर भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित करें और उन्हें तिलक, फूल, माला, इत्र आदि अर्पित करें।
5. दीप प्रज्वलन: देसी घी का दीपक जलाएं और फल, मिष्ठान का भोग लगाएं।
6. अभिषेक: मंदिर जाएं और भगवान कार्तिकेय की मूर्ति का पंचामृत से अभिषेक करें।
7. नारियल अर्पण: नकारात्मकता से बचने के लिए भगवान स्कंद को नारियल चढ़ाएं।
8. मंत्र जाप: वैदिक मंत्रों का जाप करें और आरती से पूजा को पूर्ण करें। “ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंद: प्रचोदयात्।”
पंचांग के अनुसार, 3 फरवरी दिन सोमवार को माघ महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि सुबह 6 बजकर 52 मिनट पर होगी। वहीं इस दिन का समापन 4 फरवरी दिन मंगलवार को सुबह 4 बजकर 37 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, माघ माह में स्कंद षष्ठी का व्रत 3 फरवरी को रखा जाएगा। बता दें कि स्कंद षष्ठी के व्रत की तिथि पंचांग के अनुसार निर्धारित की जाती है। स्कंद षष्ठी की पूजा का शुभ समय सूर्योदय के बाद का माना जाता है। आज के दिन त्रिपुष्कर योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग जैसे शुभ संयोग बन रहे हैं, जो पूजा के फल को और भी अधिक बढ़ाते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय ने राक्षस तारकासुर का वध किया था, जिससे तीनों लोकों को उसके अत्याचार से मुक्ति मिली। इस व्रत को करने से संतान सुख की प्राप्ति, रोगों से मुक्ति, और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। स्कंद षष्ठी के दिन व्रत रखने का भी विधान है। लोग इस दिन व्रत रखते हैं और इस व्रत का पारण शाम को करते हैं। भगवान कार्तिकेय युद्ध के देवता के नाम से भी जाने जाते हैं। भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
भगवान कार्तिकेय को बुद्धि और विवेक का देवता भी कहा जाता है। उनकी पूजा करने से बुद्धि का विकास होता है। भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। पूजा करते समय मन को एकाग्र रखें और किसी भी प्रकार की नकारात्मक भावना से दूर रहें। स्कंद षष्ठी का पर्व भगवान कार्तिकेय की कृपा प्राप्त करने का एक अवसर है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की विधि-विधान से पूजा करने से जीवन में सफलता और सुख-शांति मिलती है।
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