भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश है जहां पर नदियों को माता कहकर संबोधित किया जाता है। आज, 4 फरवरी 2025 को, सम्पूर्ण भारत में नर्मदा जयंती का पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नर्मदा जयंती के दिन नर्मदा नदी में स्नान करने से व्यक्ति पाप के बंधनों से मुक्त होता है।
नई दिल्ली: भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश है जहां पर नदियों को माता कहकर संबोधित किया जाता है। आज, 4 फरवरी 2025 को, सम्पूर्ण भारत में नर्मदा जयंती का पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नर्मदा जयंती के दिन नर्मदा नदी में स्नान करने से व्यक्ति पाप के बंधनों से मुक्त होता है। मां नर्मदा की जयंती पर भक्त पूजा व आरती शुभ मुहूर्त में विधि-विधान करते हैं। आइए जानते हैं नर्मदा जयंती 2025 की पूजा की मुहूर्त और पूजन विधि?
हिंदू पंचांग के अनुसार माघ महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर नर्मदा जयंती का उत्सव मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 04 फरवरी, मंगलवार को सुबह 04 बजकर 37 मिनट पर शुरू होगी और 5 फरवरी, बुधवार को देर रात 02 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, 04 फरवरी, मंगलवार को नर्मदा जयंती का पर्व मनाया जाएगा। इसी काल में नर्मदा जयंती का पूजन-अर्चन किया जाएगा। इस दिन कई मंगलकारी योगों का संयोग बन रहा है और ऐसा माना जाता है कि इन योगों में स्नान और मां नर्मदा की पूजा करने से साधक को मनचाहा फल प्राप्त होता है तथा सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस दिन विशेष रूप से शुभ योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है।
1. स्नान: प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठकर नर्मदा नदी में स्नान करें। यदि नदी तक पहुंचना संभव न हो, तो घर पर ही स्नान के जल में नर्मदा जल की कुछ बूंदें मिलाकर स्नान करें।
2. व्रत: स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प लें।
3. पूजन: नर्मदा मैया की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीपक जलाएं और पुष्प, कुमकुम, हल्दी, धूप आदि अर्पित करें।
4. दीपदान: नर्मदा नदी में आटे से बने 11 दीपक प्रवाहित करें। मान्यता है कि इससे सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
5. भजन-कीर्तन: पूजा के पश्चात नर्मदा अष्टकम, नर्मदा चालीसा या अन्य स्तोत्रों का पाठ करें और भजन-कीर्तन करें।
6. मंत्र जाप के लिए ॐ ह्रिम श्रीं नर्मदायै नमः, त्वद्यापादपङ्कजं नमामि देवी नर्मदे, ऐं श्रींमेकल-कन्यायैसोमोद्भवायैदेवापगायैनमः पढ़ा जा सकता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नर्मदा नदी में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और जीवन में शांति एवं समृद्धि आती है। कहा जाता है कि गंगा नदी के समान ही नर्मदा नदी में स्नान करने से भी उतना ही पुण्य प्राप्त होता है। मध्य प्रदेश के अमरकंटक में, जहां नर्मदा नदी का उद्गम स्थल है, इस अवसर पर विशेष उत्सवों का आयोजन होता है। भक्तजन दूर-दूर से यहां आकर नर्मदा मैया की पूजा-अर्चना करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। नर्मदा जयंती के दिन नर्मदा नदी में चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा प्रवाहित करने से भी कालसर्प दोष समाप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि नर्मदा नदी के प्रत्येक कंकड़ को नर्मदेश्वर शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है।
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