जम्मू कश्मीर: राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा सोमवार को पूरी हो गई है. अपनी यात्रा ख़त्म होने के अगले ही दिन राहुल गाँधी बहन प्रियंका गाँधी के साथ जम्मू कश्मीर स्थित खीर भवानी मंदिर के दर्शन करने पहुंचे. यह मंदिर पौराणिक मान्यताओं के चलते बहुत प्रसिद्ध है जिसमें एक रहस्यमयी कुंड भी है.
कहा जाता है कि जब भी इलाके में कोई विपदा आने वाली होती है तो इस मंदिर का कुंड अपने आप अपना रंग बदल लेता है. आज हम आपको इसका पूरा इतिहास बताने जा रहे हैं. खीर भवानी का मंदिर उत्तरी कश्मीर के गांदरबल जिले के तुलमुला गांव में स्थित है. यह मंदिर कश्मीरी पंडितों के लिए आस्था का सबसे बड़ा प्रतीक है जिसकी देवी माता राग्यना हैं. आतंकी घटनाओं से परेशान होकर साल 1989 में कश्मीरी पंडित यहां से विस्थापित हो गए थे. लेकिन साल 2007 आते-आते श्रद्धालु एक बार फिर मंदिर में आने लगे.
साल 1912 में महाराजा प्रताप सिंह ने खीर भवानी मंदिर का निर्माण कराया था. महाराज हरी सिंह ने इसके बाद इसका जीर्णोद्वार कराया. कश्मीर में अमरनाथ गुफा के बाद खीर भवानी मंदिर को दूसरा बड़ा धार्मिक स्थल माना जाता है. इस प्राचीन मंदिर को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं हैं.
मान्यता है कि अत्यंत विद्वान और शक्तिशाली रावण की भक्ति और तपस्या से प्रसन्न होकर ही क्षीर भवानी या राग्यना देवी प्रकट हुई थीं. रावण ने ही उन्हें कुलदेवी के रूप में स्थापित किया था. रावण ने अपनी सोने की लंका में ही उनका मंदिर बनवाया था. लेकिन जब भगवान राम ने रावण का वध किया तो देवी राग्यना ने वो स्थान छोड़ दिया और वह तुलमुला नामक जगह पर आकर बस गई. प्रभु श्रीराम ने ही देवी राग्यना को रागिनी कुंड में स्थापित किया था. इस कुंड को लेकर मान्यता है कि कुंड का पानी अपना रंग उस समय बदल लेता है जब कुछ बुरा होने वाला होता है. ऐसा साल 1999 में हुआ था जब देश में करगिल युद्ध हुआ. कुछ दिन पहले ही इस कुंड का पानी लाल हो गया था.
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