रांची: झारखण्ड के राँची से करीब 150 कि.मी दूर गुमला जिले में भगवान परशुराम का तप स्थल है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान परशुराम ने यहां शिव की घोर तपस्या की थी. बता दें, बाबा टांगीनाथ धाम मंदिर घनघोर जंगल, ऊँची पहाड़ियाँ, जंगलों के बीच है। इस मंदिर से जुड़ी कई पौराणिक कहानियां हैं। जो बड़ी ही दिलचस्प हैं।
क्या है मान्यताएं
यह मान्यता है कि भगवान परशुराम ने यहाँ बैठ कर अपना फरसा गाड़ा, और इस घनघोर जंगल में तपस्या करने में लीन हो गए। इस पौराणिक मंदिर के प्रांगण में एक फरसा, न जाने कई हज़ारों वर्षों से खुले में गड़ा हुआ है। यह फरसा गर्मी की धूप, जाड़े की ठंड और वर्षा के जल को लंबे अरसे से झेल रहा है। लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि इसमें जंग नहीं लगता है। ऐसे में यही के कारण है कि अकस्मात ही बाबा टांगीनाथ धाम श्रद्धालुओं और पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
मंदिर की सुंदरता
यहाँ सैकड़ों की संख्या में पत्थरों को तराश कर बने हुए शिवलिंग बिखरे हैं. साथ ही, आपको कई अद्भुत देव मूर्तियां भी देखने को मिलेंगी जो पत्थरों को तराश कर बनायीं गयीं हैं। यह एक पुराना मंदिर है। जिसमें बहुत ही सुन्दर नक्काशी की गयी है। कुछ पुरोहितों की मानें तो स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने इस मंदिर का निर्माण किया था।