नई दिल्ली: “हिंदू” शब्द का भारत में एक लंबा और महत्वपूर्ण इतिहास है, जिसे जानने की उत्सुकता आज भी लोगों में बनी रहती है। भारतीय उपमहाद्वीप के लोग स्वयं को “हिंदू” कब और कैसे कहने लगे, और ये शब्द आखिर कहां से आया, इसके पीछे बहुत सारे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक संदर्भ हैं। आपने कभी सोचा है कि भारतीयों को ‘हिंदू’ नाम सबसे पहले किसने दिया और यह शब्द कहां से आया? आइए जानते हैं इस शब्द के पीछे का इतिहास?
“हिंदू” शब्द का सबसे पुराना ज्ञात उल्लेख फ़ारसी स्रोतों में मिलता है। फ़ारसी भाषी आक्रमणकारियों और व्यापारियों ने भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में सिंधु नदी (इंडस रिवर) को “हिंदू” कहा। संस्कृत में “सिंधु” शब्द का प्रयोग इसी नदी के लिए किया जाता था, लेकिन फ़ारसी भाषा में ‘स’ ध्वनि का उच्चारण ‘ह’ हो जाता था, इसीलिए फ़ारसी लोग इसे “हिंदु” कहने लगे। फ़ारसियों ने इस नदी के पार रहने वाले लोगों को “हिंदू” कहा, और उनके देश को “हिंदुस्तान” कहा गया। इस प्रकार, मूल रूप से “हिंदू” शब्द का अर्थ था “सिंधु नदी के पार रहने वाले लोग”। उस समय यह धार्मिक पहचान का सूचक नहीं था, बल्कि एक भौगोलिक संदर्भ था।
मध्यकालीन काल में, जब भारत में इस्लाम का प्रसार हुआ, तब “हिंदू” शब्द ने धार्मिक रूप धारण किया। भारतीय उपमहाद्वीप में इस्लाम के अनुयायियों और स्थानीय धर्मों के अनुयायियों के बीच फर्क करने के लिए इस्लामी शासकों ने स्थानीय धर्म के अनुयायियों को “हिंदू” कहा। इसके बाद से ही “हिंदू” शब्द का धार्मिक प्रयोग शुरू हुआ और यह सनातन धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म, और सिख धर्म के अनुयायियों को सूचित करने के लिए इस्तेमाल होने लगा।
हिंदू धर्म किसी एक धर्म ग्रंथ या संस्थापक पर आधारित नहीं है। यह कई मान्यताओं, रीति-रिवाजों और दर्शन का संगम है। हिंदू धर्म में वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत और भगवद गीता जैसे ग्रंथ महत्वपूर्ण माने जाते हैं। यहाँ जीवन के चार उद्देश्य माने जाते हैं – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष।
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