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दुख और शोक का दिन है Good Friday, फिर भी गुड फ्राइडे क्यों कहा जाता है

गुड फ्राइडे (Good Friday 2025) का दिन ईसाई धर्म के लिए काफी अहम है। अपने नाम के विपरीत खुशी नहीं, बल्कि शोक मनाने का दिन है। यह वही दिन है, जब ईसा मसीह ने धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राण त्यागे थे। उन्हीं की याद में इस दिन को मनाते हैं.

Good Friday
inkhbar News
  • April 17, 2025 7:31 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 weeks ago

नई दिल्ली। गुड फ्राइडे (Good Friday 2025) का दिन ईसाई धर्म के लिए काफी अहम है। अपने नाम के विपरीत खुशी नहीं, बल्कि शोक मनाने का दिन है। यह वही दिन है, जब ईसा मसीह ने धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राण त्यागे थे। उन्हीं की याद में इस दिन को मनाते हैं. इस बार गुड फ्राइडे 18 अप्रैल को है
ईसाई धर्म में गुड फ्राइडे का विशेष महत्व है। यह हर साल ईस्टर से पहले शुक्रवार को मनाया जाता है, इस साल गुड फ्राइडे 18 अप्रैल 2025 को मनाया जाएगा। ये दिन यीशु मसीह के क्रूस पर चढ़ने और अपना बलिदान देने से जुड़ा हुआ है। गुड फ्राइडे एक ऐसा दिन है जब ईसाई समुदाय ईश्वर के साथ अपनी आध्यात्मिक कनेक्शन को पुनः स्थापित करने के लिए प्रार्थना करता है और अपने जीवन के दुखों से मुक्ति की कामना करते हैं।

गुड फ्राइडे का इतिहास

कुछ लोगों का मानना है कि गुड शब्द का अर्थ उस दिन के धार्मिक महत्व से जुड़ा है, जबकि कुछ लोग मानते हैं कि ये नाम धार्मिक पहचान के रूप में प्रयोग होता है। ये दिन यीशु मसीह की मृत्यु के दिन को चिह्नित करता है, जिसे नवता के पापों का प्रायश्चित माना जाता है। गुड फ्राइडे को पासकाल त्रिडियम का हिस्सा माना जाता है। जो 3 दिनों का एक विशेष धार्मिक समय होता है। ये समय माउंडी थर्सडे यीशु का अंतिम भोज से शुरू होता है। जिसमें यीशु ने अपने शिष्यों के साथ अंतिम रात का भोजन किया। इसके बाद, गुड फ्राइडे आता है और अंत में ईस्टर संडे पर यीशु के पुनरुत्थान का उत्सव मनाया जाता है। इसका नाम इसके पवित्र और महत्वपूर्ण होने का प्रतीक है।

ईसोइयों द्वारा दी जाने वाली परंपराएं

इस दिन ईसाई समुदाय उपवास रखता है और गरीबों को दान देते हैं और चर्च की विशेष प्रार्थना सेवाओं में भाग लेते हैं। एक अनुष्ठान होता है द ग्रेट थ्री ऑवर्स अगॉनी जो दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक आयोजित होता है। ये समय यीशु के क्रूस पर चढ़े जाने के दौरान हुए अंधकार को भी दर्शाता है। जैसा कि बाइबिल में उल्लेख किया गया है। ईसाई विश्वास के अनुसार, गुड फ्राइडे उस समय को याद करता है जब रोमनों ने यीशु को क्रूस पर चढ़ाया था। घटना यहूदियों के धार्मिक नेताओं द्वारा यीशु को ईश्वर का पुत्र होने के आरोप में निंदा करने के बाद होती है। उन्होंने यीशु को रोमनों के पास ले जाकर उनके शासक पोंटियस पिलेट से यीशु को क्रूस पर चढ़ाने की सजा दी जाती है।

गुड फ्राइडे गहरी आध्यात्मिक साधना का दिन

बाइबिल में कहा गया है कि यीशु को सार्वजनिक रूप से पीटा गया और उन्हें एक भारी लकड़ी का क्रूस लेकर सड़कों पर चलने के लिए मजबूर किया गया, उनका उपहास उड़ाते हुए भीड़ उनके पीछे थी. अंत में, उनके हाथों और पैरों में कीलें ठोककर क्रूस पर लटका दिया गया, जहां वो अपनी मृत्यु तक झूलते रहे। यीशु की मृत्यु मानवता के पापों का प्रायश्चित करने और उनके अनुयायियों को भगवान, उनके पिता के साथ फिर से संबंध स्थापित करने के लिए बलिदान का दिन भी माना जाता है। गुड फ्राइडे के दिन ईसाई समुदाय अपने जीवन में ईश्वर से मोक्ष की प्राप्ति की कामना करते हैं और अपने पापों के लिए प्रायश्चित करते हैं. ये एक गहरी आध्यात्मिक साधना का दिन होता है, जब दुनिया भर के ईसाई समुदाय एकजुट होकर इस पवित्र दिन को मनाते हैं और भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।

 

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