नई दिल्ली: भगवान गणेश को सुखकर्ता और दुखहर्ता के रूप में जाना जाता है। माना जाता है कि उनकी पूजा से जीवन के सभी कष्टों का निवारण होता है. वहीं गणेश चतुर्थी के दौरान उनकी पूजा का विशेष महत्व होता है। इस साल में यह त्योहार 7 सितंबर को मनाया जाएगा। गणेश पूजन में कई सामग्रियों का उपयोग किया जाता है, लेकिन तुलसी का इस्तेमाल वर्जित माना गया है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान गणेश की पूजा में तुलसी को अर्पित करना वर्जित बताया गया है। कहा जाता है कि माता तुलसी भगवान गणेश से विवाह करना चाहती थीं, लेकिन गणेश जी माता तुलसी के इस प्रस्ताव पर असहमति जताते हैं। इस पर माता तुलसी नाराज होकर गणेश जी को श्राप देती हैं कि उनकी दो शादियां होंगी। वहीं बदले में गणेश जी भी तुलसी माता को श्राप देते हैं कि उनका विवाह एक राक्षस से होगा। इस कारण तुलसी माता और गणेश जी के बीच बैर भाव बना और तब से गणेश पूजा में तुलसी का अर्पण वर्जित हो गया।
गणेश जी को तुलसी अर्पित नहीं की जाती, लेकिन दुर्वा, बेलपत्र, चंदन, सुपारी, पीले फूल और मोदक अर्पित करना शुभ माना जाता है। इन सामग्रियों को चढ़ाने से भगवान गणेश की कृपा आप और आपके घर पर होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
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