प्रदोष व्रत, हिंदू धर्म में भगवान शिव की आराधना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है, और जब यह व्रत रविवार को पड़ता है, तो इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है।
नई दिल्ली: प्रदोष व्रत, हिंदू धर्म में भगवान शिव की आराधना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है, और जब यह व्रत रविवार को पड़ता है, तो इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 9 फरवरी 2025, रविवार को मनाया जा रहा है, जो रवि प्रदोष व्रत के रूप में भी जाना जाता है।
तामसिक भोजन का सेवन न करें: व्रत के दिन मांस, मछली, अंडा, प्याज और लहसुन जैसे तामसिक खाद्य पदार्थों का सेवन वर्जित है। सात्विक भोजन का ही सेवन करें।
नशीले पदार्थों से दूर रहें: शराब, सिगरेट और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन इस दिन नहीं करना चाहिए।
काले वस्त्र न पहनें: प्रदोष व्रत के दिन काले रंग के कपड़े पहनने से बचें।
क्रोध और विवाद से बचें: इस दिन क्रोध, झूठ बोलना, लड़ाई-झगड़ा और किसी का अपमान करने से बचना चाहिए।
पूजा में निषिद्ध वस्तुओं का उपयोग न करें: शिवलिंग पर केतकी के फूल, हल्दी, सिंदूर, तुलसी के पत्ते, नारियल का पानी और टूटे हुए चावल अर्पित नहीं करने चाहिए।
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और संध्या समय सूर्यास्त से पहले पुनः स्नान करें। पूजा के समय सफेद वस्त्र पहनकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके भगवान शिव की आराधना करें। शिवलिंग को गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और शक्कर से स्नान कराएं, जिसे पंचामृत कहते हैं। इसके बाद बेलपत्र, धतूरा, भांग और सफेद फूल अर्पित करें। मंत्र जाप: ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें और शिव चालीसा का पाठ करें। जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें। इन नियमों और उपायों का पालन करके, भक्त भगवान शिव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि ला सकते हैं।
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