मकर संक्रांति 14 जनवरी 2025 को विशेष संयोग में मनाई जाएगी। इस दिन 19 साल बाद दुर्लभ भौम पुष्प योग भी बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र में भौम पुष्प योग को अत्यंत शुभ माना जाता है।
नई दिल्ली : मकर संक्रांति जिसे उत्तर भारत में खिचड़ी पर्व कहते है। यह भारत का एक प्रमुख हिंदू त्यौहार है, जो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है। यह दिन विशेष रूप से भारतीय संस्कृति से जुड़ा हुआ है और लोगों में इसे लेकर काफी आस्था और उत्साह है। 2025 में मकर संक्रांति 14 जनवरी, मंगलवार (15, जनवरी लीप ईयर ) को मनाई जाएगी। इस दिन कुछ विशेष मुहूर्त भी होते हैं, जिनमें धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ करना शुभ माना जाता है।
मकर संक्रांति: मंगलवार, 14 जनवरी 2025
मकर संक्रांति पुण्य काल: सुबह 09:03 बजे से शाम 17:46 बजे तक
मकर संक्रांति महा पुण्य काल: सुबह 09:03 से 10:48 तक
मकर संक्रांति मुहूर्त: 09:03 प्रातः
इन मुहूर्तों को पुण्य काल और महापुण्य काल कहा जाता है, इस दौरान धार्मिक कार्य और दान-पुण्य करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
मकर संक्रांति 14 जनवरी 2025 को विशेष संयोग में मनाई जाएगी। इस दिन 19 साल बाद दुर्लभ भौम पुष्प योग भी बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र में भौम पुष्प योग को अत्यंत शुभ माना जाता है। यह योग मंगल और पुष्य नक्षत्र के मिलन से बनता है। इस योग में किए गए कार्यों में सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
मकर संक्रांति फसल की कटाई और सूर्य देव की पूजा का त्यौहार है। यह दिन सूर्य के उत्तर दिशा में गमन का प्रतीक है, जिसे भारतीय संस्कृति में सकारात्मक परिवर्तन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यह दिन अंधकार से प्रकाश की ओर का प्रतीक है। संक्रांति के बाद सारे नई शुरुआत और शुभ कार्य जो किया जाता है।
मकर संक्रांति भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाई जाती है. तमिलनाडु में इसे पोंगल कहा जाता है, जिसमें सूर्य देव को धन्यवाद देने के लिए विशेष मीठे व्यंजन बनाए जाते हैं। गुजरात और राजस्थान में इसे उत्तरायण कहा जाता है और इस दिन लोग गुब्बारे और पतंग उड़ाते हैं, जो उत्साह और खुशी का प्रतीक है। पंजाब और हरियाणा में इसे माघी के रूप में मनाया जाता है, जहां लोग नदी में स्नान करते हैं और खीर और तिल गुड़ जैसे विशेष व्यंजन खाते हैं।
मकर संक्रांति पर कई महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ होती हैं:
पवित्र स्नान: गंगा, यमुनाजी या गोदावरी जैसी पवित्र नदियों में स्नान करना, जो आत्मा को शुद्ध करता है।
नैवेद्य चढ़ाना: सूर्य देव को खाद्य पदार्थ अर्पित करना और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना।
दान और अच्छे कर्म: इस दिन कपड़े, भोजन और पैसे दान करना, विशेष रूप से गरीबों को, एक अच्छा काम माना जाता है।
श्राद्ध कर्म: अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान और अन्य श्राद्ध कर्म करना।
व्रत का पारण: कई लोग व्रत रखते हैं और पुण्य काल के दौरान इसे तोड़ते हैं।
हर राज्य और क्षेत्र में अपने अनोखे तरीके से मनाई जाती है.
महाराष्ट्र में तिल और गुड़ का वितरण प्रेम और एकता का प्रतीक है।
बंगाल में गंगा सागर मेला जैसे बड़े आयोजन होते हैं, जिसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
दक्षिण भारत में पोंगल के दौरान रंग-बिरंगी कोलम (रंगोली) बनाई जाती है और सामूहिक भोज होता है।
गुजरात में उत्तरायण की खुशी उत्तर दिशा की ओर रंग-बिरंगी पतंगें उड़ाकर मनाई जाती है।
मकर संक्रांति का न केवल धार्मिक महत्व है, बल्कि यह एकजुटता, प्रेम और विश्वास का भी त्योहार है। यह त्योहार हमें एकजुट होने, अच्छे कर्म करने और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की प्रेरणा देता है।
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