kalyug bhavishyavani : कभी-कभी आपके मन में ये सवाल जरूर आता होगा कि अगर दुनिया में सारे दुख कलियुग के कारण हैं तो कलियुग का अंत कब होगा? हमारे चारों तरफ पाप बढ़ते जा रहे हैं। हर दिन हम ऐसी घटनाएं देखते और सुनते हैं जो मानवता को शर्मसार कर देती हैं। कुछ लोग तो ऐसे भी हैं जो दुख के सागर में डूब चुके हैं। ऐसे लोग हर पल इंतजार करते हैं कि उनके दुख दूर करने के लिए भगवान दोबारा धरती पर अवतार लेंगे या फिर कोई चमत्कार होगा जिससे कलियुग का अंत हो जाएगा। कलियुग के अंत की बात करें तो विष्णु पुराण में कलियुग के अंत से जुड़े रहस्य बताए गए हैं। आइए जानते हैं कलियुग का अंत कब होगा इससे जुड़ी विष्णु पुराण की भविष्यवाणियां।
क्या है कलियुग?
द्वापर युग के बाद कलियुग आ गया है। हम आए दिन सुनते हैं कि कलियुग के आगमन के साथ ही धरती पर पाप बढ़ गए हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि कलियुग क्या है? कलियुग के बारे में विष्णु पुराण, श्रीमद्भागवत पुराण, भविष्य पुराण आदि पुराणों में विस्तार से बताया गया है। अगर कलियुग का अर्थ समझें तो कलियुग का मतलब है अंधकार युग, यानी एक छाया या आभासी युग। कलियुग के अंधकार में सारे रंग कहीं खो जाते हैं और सच भी झूठ जैसा लगने लगता है। कलियुग यानी संघर्ष और क्लेश का युग, जहां हर प्राणी के मन में असंतोष भर जाएगा। सभी लोग एक-दूसरे के प्रति बिना वजह ही द्वेष रखेंगे।
कब शुरू हुआ था कलियुग?
महाभारत के बाद कई ऐसी अप्रिय घटनाएं घटीं, जिसके बाद कलियुग के आगमन की गति बढ़ गई। जैसे- श्री कृष्ण का मानव शरीर त्यागकर वैकुंठ चले जाना, पांडवों का स्वर्ग चले जाना, यदुवंशी कुल का नाश हो जाना आदि ऐसी घटनाएं थीं, जो कलियुग के आगमन के संकेत बन गए। कलियुग की शुरुआत 3102 ईसा पूर्व हुई थी। कलियुग के अंत का वर्णन श्रीमद्भागवत पुराण, विष्णु पुराण और भविष्य पुराण में मिलता है।
कब खत्म होगा कलियुग?
अगर पुराणों के आधार पर कलियुग के अंत की बात करें तो कलियुग 4,32,000 वर्षों तक चलेगा। अभी कलियुग का पहला चरण ही चल रहा है। कलियुग के 3102+2024= 5126 वर्ष बीत चुके हैं। इसका मतलब है कि कलियुग के अभी 5 हजार वर्ष ही बीते हैं। अभी 426882 वर्ष शेष हैं। अभी कलियुग के खत्म होने में कई हजार वर्ष शेष हैं।
लेकिन अगर हम पुराणों को देखें तो कलियुग के खत्म होने में और भी ज़्यादा समय लग सकता है क्योंकि भूलोक (पृथ्वी) जहाँ मनुष्य रहते हैं और स्वर्गलोक (स्वर्ग) जहाँ देवता रहते हैं, वहाँ समय अलग-अलग गति से चलता है। उदाहरण के लिए, पितृ लोक में मनुष्य का एक महीना एक दिन के बराबर होता है। जबकि देवताओं के लिए मनुष्य का एक साल एक दिन के बराबर होता है। जब कोई मनुष्य पृथ्वी पर 30 साल पूरे कर लेता है, तो स्वर्गलोक में देवताओं के लिए 30 साल एक महीने के बराबर होते हैं। इसका मतलब है कि हर लोक में समय अलग-अलग चलता है।
कलियुग की चरम सीमा कैसे चलेगा पता?
जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि कलियुग को अभी पांच हजार साल पूरे हुए हैं। यह समय कलियुग का पहला चरण है। विष्णु पुराण के अलावा ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी कलियुग के चरम का जिक्र है। इसके अनुसार जब कलियुग अपने चरम पर होगा तो व्यक्ति की आयु घटकर मात्र 20 वर्ष रह जाएगी। लोग उम्र से पहले ही बूढ़े होने लगेंगे। पांच वर्ष की महिलाएं गर्भवती हो जाएंगी। लोग छोटी-छोटी बीमारियों से भी नहीं लड़ पाएंगे और मरने लगेंगे। विष्णु पुराण की भविष्यवाणी के अनुसार पूरी धरती पर सूखा पड़ेगा, कहीं भी अन्न नहीं उगेगा और भीषण गर्मी बढ़ती रहेगी। इसके साथ ही हर मौसम का असर भी भयानक होगा। जैसे, बहुत अधिक वर्षा होगी, बहुत अधिक गर्मी बढ़ेगी और हाड़ कंपा देने वाली ठंड भी पड़ेगी। ये सभी संकेत कलियुग के चरम के होंगे।