शनिवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत के दिन यह व्रत शुरू किया जाता है. नौकरी में तरक्की, खोई वस्तु की प्राप्ति, पुत्र प्राप्ति और शनि के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए भी किया जाता है. साथ ही ढैय्या और शनि की साढ़ेसाती से मुक्ती के लिए यह व्रत किया जाता है.