पौराणिक कथानुसार, सूर्यदेव अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर ब्राह्मांड के चक्कर लगाते हैं और कहीं नहीं रुकते. अगर वे रुक गए तो पृथ्वी पर सब अस्त वयस्त हो जाएगा. एक बार भगवान के घोड़े लगातार चलने की वजह से भूख-प्यास से थक गए जिसपर सूर्य देव को दया आ गई. वे उन्हें एक तालाब के पास ले गए, अब अगर वे रुकते तो सब रुक जाता इसलिए उन्होंने तालाब पर खड़े दो गधों को अपने रथ से बांध लिया. जबकि घोड़ों को पानी और सुस्ताने के लिए तालाब पर छोड़ दिया. गधों को रथ से बांधने की वजह से सूर्यदेव की गति धीमी हो गई लेकिन सूर्यदेव ने उन गधों के साथ एक मास का चक्कर पूरा कर लिया.