इस कारण उनके घर में काफी दुख हुआ. इतना ही नहीं उसके पति के प्राण भी ले लिया. इसके बाद बहन को पता चला तो उसने विधिवत रूप से गणेश भगवन की पूजा की और उसने क्षमा मांगी जिसके बाद भगवान ने उसके पति के प्राण वापस दिए. इसके बाद से ही करवा चौथ का व्रत प्रचलित होने लगा.