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CJI ने अपने रिटायरमेंट के दिन ही क्यों रखी सुनवाई की तारीख, हिन्दू-मुस्लिम से जुड़ा है मामला?

देश के मुख्य न्यायाधीश CJI जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने देश भर में चल रहे धर्म-परिवर्तन विरोधी कानूनों को चुनौती देने के वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने की मांग की. इस पर CJI खन्ना ने कहा कि निश्चित तौर पर इस सुनवाई होगी. जिसके बाद उन्होंने ऐसी तारीख दे दी. जो चर्चा का विषय बन गई है.

CJI जस्टिस संजीव खन्ना
inkhbar News
  • April 30, 2025 6:42 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 weeks ago

CJI Justice Sanjiv Khanna: देश के मुख्य न्यायाधीश CJI जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने देश भर में चल रहे धर्म-परिवर्तन विरोधी कानूनों को चुनौती देने के वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने की मांग की. इस पर CJI खन्ना ने कहा कि निश्चित तौर पर इस सुनवाई होगी. जिसके बाद उन्होंने ऐसी तारीख दे दी. जो चर्चा का विषय बन गई है.

दरअसल, जिस पीठ के सामने इस याचिका पर सुनवाई की मांग की गई थी. वह सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार कि पीठ थी. पीठ ने इसे सुनवाई करते हुए कहा की इस पर विस्तार से सुनवाई की जरूरत है. इसी दौरान सीजेआई खन्ना ने कहा कि हमें इस पर विस्तार से सुनवाई की जरूरत है. इसे 13 मई 2025 से शुरू होने वाले सप्ताह में रखा जाए. बता दें कि जस्टिस खन्ना 13 मई को ही रिटायर भी हो रहे हैं. यानी वह तारीख रिटायरमेंट का आखिरी दिन होगा. 14 मई को जस्टिस बीआर गवई देश के नए मुख्य न्यायाधीश पद की शपद भी लेंगे.

हर दिन 10 हजार से ज्यादा हिंदुओं का धर्मांतरण हो रहा

बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक जब सीजेआई सुनवाई की तारीख तय कर रहे थे. तभी अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने अचानक कहा ‘माई लॉर्ड! धर्मांतरण एक युद्ध छेड़ने जैसा है. हर दिन 10 हजार से ज्यादा लोगों का धर्म परिवर्तन हो रहा हैं. दरअसल अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने अवैध धर्मांतरण के खिलाफ में याचिका दायर की है और इस पर त्वरित सुनवाई की मांग कर रहे थे.

दूसरे पक्ष को बिना सुने सुनवाई नहीं होगी

कोर्ट ने आज याचिकाकर्ताओं की सुनवाई किए बिना उनकी दलीलें सुनने को तैयार नहीं हुआ. पीठ ने कहा आप क्यों कर रहे है? इसका कोई मतलब नहीं है. क्या हमने दूसरे पक्ष को सुना. हमें पहले उन्हें सुनना होगा. इन कानूनों का उद्देश्य जबरन या गैरकानूनी तरीके से होने वाले धर्म परिवर्तन से छुटकारा पाना है लेकिन आलोचकों का आरोप है कि इन कानूनों का दुरुपयोग एक खास धार्मिक समुदाय को टारगेट करने के लिए किया जा रहा है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के सामने कई याचिकाएं दायर कर विभिन्न धर्म-परिवर्तन कानूनों को चुनौती देने का काम किया गया है. इनमें हिमाचल प्रदेश के धर्म परिवर्तन अधिनियम 2019, उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अध्यादेश, मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अध्यादेश, 2020 और उत्तराखंड का भी इसी तरह का एक कानून शामिल है. 2021 में न्यायालय ने जमीयत उलमा-ए-हिन्द को भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की अनुमती मिली थी. क्योंकि उसने आरोप लगाया था कि देश भर में बड़ी संख्या में मुसलमानों को परेशान किया जा रहा है.

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