नई दिल्ली. पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के कार्यकर्ताओं का हर सरकारी काम कराने का रेट फिक्स है. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक टीएमसी कार्यकर्ताओं की कट मनी का रेट मरने पर अंतिम संस्कार में 200 रुपए से लेकर उज्जवला गैस कनेक्शन दिलाने में 600 रुपए और आवास योजना के तहत घर बनवाने में 25000 रुपए तक फैला है. यहां तक कि मनरेगा में मजदूरी करके 190 रुपया कमाने वाले मजदूर से भी कट मनी में 20 से 40 रुपया ले लिया जाता है. सरकार की जितनी भी योजनाएं हैं, अगर किसी को उसका लाभ लेना है तो तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता लाभार्थी से योजना का लाभ दिलाने के एवज में कमीशन लेते हैं जिसे बंगाल में कट मनी का नाम दिया गया है. लोकसभा चुनाव में बंगाल में बीजेपी की बड़ी जीत के बाद 2021 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ममता बनर्जी ने 18 जून को कहा था कि टीएमसी वर्कर कट मनी लेना बंद करें और जिन्होंने ऐसा कोई पैसा लिया है वो वापस करें.
इसके बाद से बीरभूम, हुगली, मालदा, मुर्शिदाबाद, कूचबिहार, उत्तर दिनाजपुर और बर्धमान इलाके में कई टीएमसी कार्यकर्ता परिवार को घर पर छोड़कर या परिवार के साथ घर छोड़कर भाग गए हैं क्योंकि लोकल लोग कट मनी का पैसा वापस मांगने पहुंच रहे हैं. टीएमसी वालों के घर पर पथराव हो रहा है और हंगामा हो रहा है. टीएमसी के कार्यकर्ता पार्टी के दफ्तरों में शरण लिए हैं और कह रहे हैं कि पैसा उनके पास नहीं है क्योंकि कट मनी का बड़ा हिस्सा तो नेताओं को ऊपर तक जाता था. बंगाल में ममता बनर्जी और टीएमसी की सरकार बनने से पहले जब लेफ्ट फ्रंट की सरकार चल रही थी तब भी ऐसा ही हाल था और तब कट मनी लेने का आरोप वामपंथी कार्यकर्ताओं पर लगता था.
कट मनी के मामलों में पुलिस कर रही आईपीसी के सेक्शन 409 में केस, मिलती है आजीवन कारावास
सूत्रों का कहना है कि ममता बनर्जी सरकार ने पुलिस को कट मनी की शिकायतों पर सख्त एक्शन लेने का आदेश दिया है और चुने हुए जनप्रतिनिधियों पर आईपीसी की धारा 409 के तहत केस करने कहा है जिसमें आजीवन कारावास तक की सजा मिल सकती है. ये सेक्शन सरकारी कर्मचारियों या निर्वाचित जनप्रतिनिधियों पर आपराधिक धोखाधड़ी के आरोप में लगाया जाता है. ममता बनर्जी की पार्टी के जिन कार्यकर्ताओं पर कट मनी के आरोप लग रहे हैं उनमें काफी पंचायत और ऐसी ही स्थानीय निकाय के चुने हुए सदस्य हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दिसंबर में मामोनी सरदार ने हुगली के एक स्थानीय नेता को उज्जवला योजना के तहत गैस सिलेंडर लेने के लिए 550 रुपये देने पड़े. मामोनी ने कहा, “मुझे लगा कि वह मुझसे गैस कनेक्शन का चार्ज मांग रहा है. मुझे बाद में पता चला कि मुझे पैसे देने की कोई जरूरत नहीं है. मुझको बहुत गुस्सा आया. मैं अब अपना पैसा वापस चाहती हूं.” इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में बंगाल में सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने में कमीशन के खेल का खुलासा किया गया है.
आज मामोनी के साथ कई ऐसी महिलाएं इकठ्ठा हुईं जिनसे टीएमसी नेताओं ने योजनाओं के नाम पर पैसे ऐठे हैं. इन सभी महिलाओं का कहना था कि उनसे गैस सिलेंडर के नाम पर 500-600 रुपये टीएमसी कार्यकर्ताओं ने लिए हैं. इन महिलाओं का गुस्सा ग्रामीण बंगाल में चल रहे लूटमारी और रिश्वतखोरी के खिलाफ है. विशेषकर पूर्वी बर्धमान, वीरभूम, हुगली, मालदा, मुर्शिदाबाद और कूच बिहार में हर योजना का लाभ लेने के लिए ग्रामीणों को टीएमसी कार्यकर्ताओं को कथित तौर पर रिश्वत देनी पड़ती है. बता दें कि पिछले ही महीने ममता बनर्जी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को कहा था कि जिसने भी लोगों से रिश्वत या काम करवाने के नाम पर पैसा लिया है वो लोगों को उनका पैसा वापस करें. इसके बाद बंगाल में ग्रामीण, स्थानीय टीएमसी नेताओं से अपने पैसे वापस मांगने लगे हैं. माना जा रहा है बंगाल में बीजेपी से कड़ी टक्कर मिलने के बाद ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी की छवि सुधारने के लिए यह कदम उठाया था.
बंगाल में टीएमसी कार्यकर्ताओं की रिश्वतखोरी के खिलाफ सिलीगुड़ी में लोग कर रहे हैं प्रदर्शन
West Bengal: Local traders shut down their shops in Siliguri’s Ghogomali area for indefinite period, in protest of cut-money allegedly taken by Ranjan Shil Sharma, Councillor (Ward No. 37). pic.twitter.com/EKJkAojYTl
— ANI (@ANI) July 3, 2019
इंडियन एक्सप्रेस ने हुगली के 12 गांवों के लोगों से बात की. ग्रामीणों में इस बात को लेकर बेहद गुस्सा है कि हर काम का एक रेट फिक्स है. सरकारी अधिकारी से लेकर स्थानीय नेता तक इसमें शामिल हैं. योजना के हिसाब से रिश्वत की रकम 200 से लेकर 25,000 तक भी है.ग्रामीणों का कहना है कि रिश्वतखोरी का आलम तो ये है कि किसी के मरने पर भी उसके परिवार को नहीं छोड़ा जाता. राज्य सरकार की समब्याथी स्कीम के तहत अंतिम संस्कार के लिए दो हजार रुपये मिलते हैं. इसमें भी 200 रुपये तो रिश्वत में ही चले जाते हैं.
हर योजना के लिए फिक्स है रेट लिस्ट
इतना ही नहीं ग्रामीणों ने बताया की टीएमसी के कुछ नेताओं ने तो बकायदा अपने पास रेट लिस्ट रखी हुई है जिसमें किस योजना के लिए कितनी रिश्वत लगेगी इसका पूरा रेट चार्ट है. ये रेट चार्ट कुछ इस तरह का है.
उज्जवला योजना के लिए 500 से 600 रुपये
बंगलार बाड़ी (प्रधानमंत्री आवास योजना) के लिए दस हजार से 25 हजार तक
निर्मल बंगला (स्वच्छ भारत ग्रामीण मिशन)- शौचालय के लिए मिलने वाले 12,000 रुपये में से 900 से 2,000 तक रिश्वत देनी पड़ती है.
मनरेगा- मनरेगा के तहत मजदूरी करने वाले लोगों से भी रोजाना 20 से 40 रुपये
टीएमसी का कहना है कि पार्टी के नेताओं में सिर्फ 0.1 प्रतिशत लोग रिश्वतखोरी जैसे कामों में शामिल हैं. पार्टी उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी. पार्टी ने एक स्पेशल सेल शुरू किया है जहां लोगों की तकलीफों पर सुनवाई होगी.
लोकसभा में बीजेपी सांसद लॉकेट चटर्जी ने कहा- जन्म से मरन तक कट मनी वसूल रहे टीएमसी वाले आज न्याय मांग रहे हैं
लोकसभा में मंगलवार को बीजेपी के टिकट पर हुगली सीट से जीतकर संसद आईं एमपी लॉकेट चटर्जी ने आरोप लगाया कि बंगाल में बच्चों के जन्म लेने से लेकर मरने तक टीएमसी के कट मनी का साया है. बच्चे की डिलीवर के लिए अस्पताल ले जाने पर बेड और इलाज के लिए कट मनी लिया जाता है, मरने पर दाह संस्कार का खर्च दिलाने में भी कट मनी लिया जाता है. बीजेपी एमपी ने कहा कि ममता बनर्जी ने कट मनी लौटाने के बात करके खुद कबूल कर लिया है कि ये गोरखधंधा टीएमसी वाले कर रहे थे. लॉकेट चटर्जी ने कहा कि जमीनी स्तर से लेकर पार्टी के बड़े नेता और यहां तक कि मंत्री भी कट मनी के रैकेट में शामिल हैं. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने कट मनी के नाम पर गरीबों का शोषण किया और पैसा कमाया वो आज न्याय मांग रहे हैं.
What is Bengal TMC Cut Money: क्या है ममता बनर्जी केपश्चिम बंगाल में कट मनी- सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने में टीएमसी कार्यकर्ता और नेता जो कमीशन लेते हैं वो कट मनी है
पश्चिम बंगाल में ज्योति बसु और बुद्धदेव भट्टाचार्य की सरकार के जमाने में वामपंथी कार्यकर्ताओं पर कट मनी लेने का आरोप लगता था और अब सरकारी काम कराने में कमीशन खाने का वही आरोप बंगाल में टीएमसी की सरकार चला रहीं ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर लग रहा है. कट मनी शुद्ध रूप से कमीशन है जो किसी पार्टी का कार्यकर्ता आम लोगों से किसी सरकारी योजना का लाभ दिलाने के नाम पर या सरकारी विभाग से कोई काम कराने के एवज में लेता है. बंगाल के मामले में ये पार्टी टीएमसी है और उसके कार्यकर्ता जो पंचायतों में मुखिया, वार्ड काउंसलर जैसे पदों पर हैं. इन लोगों पर सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने या देने के एवज में कमीशन लेने का आरोप है जिसे कट मनी कहते हैं. आप कहेंगे किस तरह के काम तो मसलन मजदूरों के लिए रोजगार गारंटी की मनरेगा योजना से लेकर लोगों की मौत के बाद अंतिम संस्कार के लिए मिलने वाली सरकारी आर्थिक मदद की योजना, उज्जवला योजना के तहत रसोई गैस कनेक्शन और सिलिंडर दिलाने से लेकर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर या स्वच्छता योजना के तहत किसी के घर में शौचालय बनवाने तक. हर योजना में सरकार कुछ ना कुछ देती है जिसे दिलाने के बदले राजनीतिक कार्यकर्ता अपने पद और प्रभाव को एक तय रेट के हिसाब से बेचते हैं.
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