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हजारों जवान और सैकड़ों लड़ाकू विमान, जानें कब खत्म हुई गवर्नर जनरल की व्यवस्था और कैसी थी गणतंत्र दिवस की पहली परेड

आज भारत अपना 76वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भव्य परेड के साथ ही देश भर में तरह-तरह के आयोजन किए जाएंगे। स्कूल-कॉलेजों में तिरंगा लहराने के साथ परेड और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का किया गया है। बता दें कि 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया था।

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Republic Day parade
  • January 26, 2025 10:17 am Asia/KolkataIST, Updated 3 weeks ago

नई दिल्ली: आज भारत अपना 76वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भव्य परेड के साथ ही देश भर में तरह-तरह के आयोजन किए जाएंगे। स्कूल-कॉलेजों में तिरंगा लहराने के साथ परेड और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का किया गया है। बता दें कि 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया था।

संविधान लागू होने के साथ ही गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने भारत को गणराज्य घोषित किया था। इसके बाद डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने देश के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण की थी और गणतंत्र भारत की पहली परेड निकाली गई। आइए जानते हैं कैसी थी भारत का पहली गणतंत्र दिवस की परेड?

आज है 76वां गणतंत्र दिवस

आज भारत में 76वां गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भव्य परेड के साथ ही देश भर में तरह-तरह के आयोजन किए जाएंगे। आज स्कूल-कॉलेजों में तिरंगा लहराने के साथ परेड और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का और नृत्य का आयोजन किया गया है। दिल्ली की परेड में मुख्य अतिथि के रूप में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति मौजूद रहेंगे और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू परेड की सलामी लेंगी. इस दौरान भारत की तरक्की और शक्ति का प्रदर्शन किया जाएगा।

गणराज्य घोषित किया

भारत वैसे तो 15 अगस्त 1947 को ही आजाद हो गया था और उस समय देश के पास अपना संविधान था। संविधान को तैयार होने में 2 साल 11 महीने 18 दिनों का समय लगा। इसे 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया था। इसी दौरान यह तय किया गया था कि संविधान 26 जनवरी को लागू किया जाएगा। जिसके बाद संविधान को 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। तत्कालीन गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने सुबह 10:18 बजे संविधान लागू होने के साथ ही भारत को गणराज्य घोषित किया। इसके छह मिनट के भीतर डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने देश के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण की और गवर्नर जनरल की व्यवस्था समाप्त हो गई।

ऐसे हुई थी परेड की शुरुआत

बता दें कि गणतंत्र भारत की पहली परेड दिल्ली में पुराने किले के सामने बने ब्रिटिश स्टेडियम में हुई थी। ब्रिटिश स्टेडियम जहां अब नेशनल स्टेडियम है, यहां पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार गणतंत्र दिवस समारोह मनाया गया। डॉ. राजेंद्र प्रसाद दोपहर 2:30 बजे बग्घी में सवार होकर राष्ट्रपति भवन (तब गवर्मेंट हाउस) से निकले। बग्घी में 6 ऑस्ट्रेलियाई घोड़े जुते थे। डॉ. राजेंद्र प्रसाद बग्घी से ही कनॉट प्लेस जैसे नई दिल्ली के कई इलाकों का चक्कर लगाते हुए 3:45 बजे नेशनल स्टेडियम (तब इरविन स्टेडियम) पहुंचे। वहां पहुंचने के बाद उन्होंने तिरंगा फहराया और 31 तोपों की सलामी दी गई और इसके साथ ही परेड की शुरुआत हो गई।

भारतीयों के दिल पर छोड़ी छाप

बता दें कि गणतंत्र दिवस की पहली परेड आज के समय जितनी भव्य नहीं थी, परंतु उस समय देश की आजादी के बाद यह पहला अवसर था जिसमें हर भारतीय गौरवान्तिव था। इसने भारतीयों के दिल पर अमिट छाप छोड़ी थी। पहली बार परेड में किसी तरह की झांकी शामिल नहीं थी। इसमें थल सेना, वायु सेना और जल सेना की टुकड़ियों ने हिस्सा लिया था। इन टुकड़ियों में तीन हजार जवान शामिल थे। इन जवानों की अगुवाई परेड कमांडर ब्रिगेडियर जेएस ढिल्लन ने की थी। इसमें इंडोनेशिया के तत्कालीन राष्ट्रपति सुकर्णो को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था।

सौ विमान थे शामिल

आज की तरह पहली परेड में करतब दिखाने वाले विमान जेट या थंडरबोल्ट तो नहीं थे परंतु डकोटा और स्पिटफायर जैसे छोटे विमानों ने खूब जलवे बिखेरे हुए थे। वायु सेना के सौ विमानों को परेड का हिस्सा बनाया गया था। भारतीय सेना की कमान तब जनरल फील्ड मार्शल केएम करिअप्पा के पास थी। राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद के तिरंगा फहराने के साथ ही दोपहर 3:45 बजे भारतीय वायु सेना के बमवर्षक विमानों ने सलामी उड़ान भरी थी।

इसके लिए एक अलग और काफी खास व्यवस्था की गई थी। झंडारोहण के समय ही इस परेड समारोह में विमानों के स्टेडियम के ठीक ऊपर उड़ान भरने में मदद करने के लिए जमीन पर एक स्पेशल कार स्टेडियम में खड़ी की गई थी। इस कार में दृश्य-नियंत्रण की सुविधा की गई थी। इसमें तैनात सैनिक बमवर्षक विमानों के बेड़े के कमांडर के साथ सीधे रेडियो संपर्क में थे। झंडारोहरण होते ही विंग कंमाडर एचएसआर गुहेल की अगुवाई में चार बमवर्षक लिबरेटर विमानों ने स्टेडियम के ऊपर आकाश में उड़ान भरते हुए राष्ट्रपति को सलामी उड़ान दी थी।

ऐसे तय हुआ था परेड का रूट

गणतंत्र दिवस की पहली पहेड दिल्ली के कई प्रमुख इलाकों से होते हुए नेशनल स्टेडियम तक पहुंची थी। हालांकि, काफी सालों तक इस परेड का कोई अलग जगह और रूट सुनिश्चित नहीं था। इसी कारण से यह परेड अलग-अलग रास्तों से होकर निकलती रही। साल 1950 से 1954 तक गणतंत्र दिवस परेड इरविन स्टेडियम, किंग्सवे (राजपथ), लालकिला और रामलीला मैदान पर हुई। साल 1955 में तय किया गया कि इसका आयोजन राजपथ पर होगा। राजपथ से निकलकर परेड लालकिले तक जाएगी।

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