Balasore Train Accident: बच्ची की एक जिद और बच गई जान… ओडिशा रेल हादसे की ये कहानी होश उड़ा देगी

भुवनेश्वर: ओडिशा रेल हादसा अब तक 250 से अधिक लोगों की जान ले चुका है. इस हादसे में हजारों लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. सैंकड़ों लोगों को प्रभावित करने वाले इस भीषण हादसे के पीछे कई कहानियां सामने आ रही हैं. किसी ने अपने पूरे परिवार को खो दिया तो किसी के सिर से पिता का साया चला गया. हादसे का शिकार हुए कई लोगों ने अपनों का साथ खो दिया है इसमें कई कहानियां ऐसी भी हैं जो आपको हैरान कर देंगी.

ज़िद ने बचा ली पिता की जान

हादसे में बाल-बाल बचे एम के देब की कहानी भी कुछ ऐसी ही है जिसे उनकर आप भी कहेंगे कि जाको राखे साइयां मार सके ना कोई. दरअसल एम के देब भी हादसे की रात उसी ट्रेन में सवार थे. उनके साथ उनकी आठ वर्षीय बेटी भी कोरोमंडल एक्सप्रेम से सफर कर रही थी. पिता और बेटी कटक जाने के लिए रवाना हुए थे जिन्होंने कड़गपुर स्टेशन से गाड़ी पकड़ी थी. तीसरे AC कोच में उनकी सीट रिज़र्व थी लेकिन खिड़की पास नहीं मिली थी. इसके बाद उनकी बेटी खिड़की के पास बैठने की ज़िद करने लगी जिसपर पिता ने उसे काफी समझाया लेकिन वह नहीं मानी. थक हारकर पिता ने TC से टिकट में फेरबदल करवाई और दूसरे यात्रियों से अपनी सीट बदल ली. इसके बाद जो हुआ उसने एमके देब और उनकी बेटी की दुनिया ही बदल दी.

 

बदल दिया डिब्बा

एमके देब और उनकी बेटी ने दो लोगों से सीट बदल ली. तीन डिब्बे आगे दोनों को सीट मिली जिसके कुछ ही देर बाद ट्रेन इस हादसे का शिकार हो गई. गनीमत ये रही कि एमके देब और उनकी बेटी जिस डिब्बे में सवार थे वो हादसे की चपेट में आने से बच गया. दोनों पिता-बेटी को जिस डिब्बे में पहले टिकट मिली थी वो डिब्बा बुरी तरह क्षति ग्रस्त हो गया और कई लोगों की मौत हो गई.

हादसे के बाद देब ने बताया कि उनकी बेटी की एक ज़िद के कारण आज वह दोनों बाल-बाल बच गए. उन्होंने बताया कि वह अपनी बेटी के इलाज के लिए कटक जा रहे थे. हादसे के बाद वह ट्रेन से सुरक्षित बाहर निकले और स्थानीय लोगों की मदद से वह कटक पहुंचे हैं. हादसे के बाद उनकी बेटी के हाथ में मामूली चोटें आई हैं.

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