हाल ही में सामने आई एक आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी से खुलासा हुआ है कि सरकार द्वारा ऐतिहासिक स्थलों के रखरखाव में असमानता बरती जा रही है। आंकड़ों के अनुसार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने मुगल शासक औरंगजेब की मजार के रखरखाव पर पिछले तीन वर्षों में लगभग 6.50 लाख रुपये खर्च किए हैं।
नई दिल्ली: हाल ही में सामने आई एक आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी से खुलासा हुआ है कि सरकार द्वारा ऐतिहासिक स्थलों के रखरखाव में असमानता बरती जा रही है। इस खुलासे के अनुसार, केंद्र सरकार के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने मुगल शासक औरंगजेब की मजार के रखरखाव पर पिछले तीन वर्षों में लगभग 6.50 लाख रुपये खर्च किए हैं। वहीं महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग किले में स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज के मंदिर के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रति माह मात्र 250 रुपये की धनराशि प्रदान की जाती है। पिछले तिल साल में मंदिर पर सिर्फ 3 हजार खर्च किए गए है.
आरटीआई से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2021-22 में औरंगजेब की मजार के रखरखाव पर 2,55,160 रुपये खर्च किए गए, जबकि 2022-23 में नवंबर तक यह राशि 2,00,636 रुपये थी। इस प्रकार तीन वर्षों में कुल मिलाकर लगभग 6.50 लाख रुपये इस मजार के रखरखाव पर व्यय किए गए हैं। इस खुलासे के बाद हिंदू जनजागृति समिति ने सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया है। समिति के राज्य संघटक सुनील घनवट ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन्होंने अपना सब कुछ कुबार्न करके हिंदू धर्म, महाराष्ट्र की संस्कृति और स्वराज की रक्षा के लिए काम किया। उनके मंदिर के लिए मात्र 250 रुपये प्रति माह की सहायता दी जा रही है।
इसके साथ ही उन्होंने मांग की है कि औरंगजेब की मजार के लिए दी जाने वाली सहायता तुरंत रोकी जाए और छत्रपति शिवाजी महाराज के मंदिर के लिए पर्याप्त आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। यह मुद्दा वर्तमान में एक गंभीर चर्चा का विषय बना हुआ है, जहां ऐतिहासिक स्थलों के रखरखाव में समानता और न्याय की मांग की जा रही है।
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