बजट एक प्रचलित शब्द है, जो फ्रेंच लैटिन शब्द बुल्गा से बना है। बाद में यही बुल्गा बोगुएट और फिर बोगुएट बन गया। इसका मतलब होता है चमड़े का ब्रीफकेस जो छोटे आकार का होता है।
नई दिल्ली : हर साल की तरह इस साल भी फरवरी में बजट पेश किया जाएगा। इस बजट का सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है, क्योंकि वे जानना चाहते हैं कि वित्त मंत्री के पिटारे से किस वर्ग के लिए क्या निकलेगा। हालांकि, इन सबसे बढ़कर क्या आप जानते हैं कि बजट को बजट क्यों कहा जाता है? आइए जानते हैं बजट के पीछे का इतिहास।
बजट एक प्रचलित शब्द है, जो फ्रेंच लैटिन शब्द बुल्गा से बना है। बाद में यही बुल्गा बोगुएट और फिर बोगुएट बन गया। इसका मतलब होता है चमड़े का ब्रीफकेस जो छोटे आकार का होता है। पहले ब्रीफकेस का रंग भूरा हुआ करता था, लेकिन अब इसमें समय के साथ बदलाव आ गए हैं। आजादी के बाद से सदन में बजट पेश करने के लिए भारत के वित्त मंत्री चमड़े के ब्रीफकेस में बजट से जुड़े कागजात लेकर पहुंचते थे, लेकिन इससे पहले वित्त मंत्री अपने अन्य सहयोगियों के साथ फोटोशूट करवाते थे। यह परंपरा अंग्रेजों के समय से चली आ रही है।
बजट पेश करने की परंपरा ब्रिटिश काल से है। वहीं क्या आप जानते है कि भारतीय संविधान में बजट का कोई उल्लेख नहीं है, क्योंकि यह ब्रिटिश शासन की परंपरा थी। इसलिए इसे संविधान में शामिल नहीं किया गया।
भारत में बजट की शुरुआत बहुत पहले हुई थी, लेकिन भारत में पहला बजट 1860 में स्कॉटिश अर्थशास्त्री जेम्स विल्सन ने पेश किया था। हालांकि, स्वतंत्र भारत का पहला बजट 26 नवंबर, 1947 को आरके शानमुखम चेट्टी ने पेश किया था। इसके बाद स्वतंत्र भारत में बजट की शुरुआत हुई। 2001 से पहले बजट फरवरी के आखिरी दिन शाम 5 बजे पेश किया जाता था, लेकिन, वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने 2001 में इसका समय बदल दिया। उन्होंने बजट का समय बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया। इस बदलाव ने इस प्रक्रिया को और प्रभावी बनाने में मदद की।
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