मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप केस में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मीडिया रिपोर्टिंग पर पटना हाई कोर्ट द्वारा लगाए गए बैन को हटा दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और NBA को नोटिस जारी कर ऐसे अपराधों में मीडिया रिपोर्टिंग के लिए गाइडलाइन बनाने में सहयोग मांगा है.
बच्चियों के साथ यौन अपराधों के मामले में मीडिया रिपोर्टिंग पर सुप्रीम कोर्ट ने कई सवाल भी उठाए हैं. कोर्ट ने आदेश में कहा कि यौन उत्पीड़न की पीड़ित की पहचान किसी भी तरह से उजागर न हो. न तो पीड़िता की फोटो लगाई जाए, न ही ब्लर करके उसका इस्तेमाल हो. कोर्ट ने यह भी कहा कि पीड़ित का कोई इंटरव्यू नहीं होगा और इस तरह के मामलों को सनसनीखेज न बनाया जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आत्म चिंतन करें कि क्या हो रहा है. यह मीडिया ट्रायल नहीं बल्कि मीडिया जजमेंट है. मीडिया पहले की आरोपियों को दोषी करार दे चुका है. कोर्ट ने कहा, यह तय है कि मीडिया रिपोर्टिंग पर ब्लैंकेट बैन नहीं लगाया जा सकता, लेकिन कोई सीमा तो होनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से पूछा कि कैसे मीडिया के लिए सीमा तय की जा सकती है. इस पर बिहार सरकार ने कहा कि पुलिस भी ऐसे मामलों में मीडिया के खिलाफ मामला दर्ज नहीं करती. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस भी आपकी तरह है, वह टीवी नहीं देखती. बिहार सरकार ने बताया कि PCI, NBA आदि संस्थाएं हैं. कोर्ट ने कहा कि ये तो एथिक्स वाली बात है, मिकेनिज्म कहां है?
अगस्त में दुष्कर्म के मामलों में इजाफा और शेल्टर होम में 34 लड़कियों से दुष्कर्म पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरपुर बालिका आश्रय गृह चलाने के लिए गैर सरकारी संगठनों को धन देने के लिए करदाताओं के पैसे का दुरुपयोग करने को लेकर बिहार सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी. कोर्ट ने कहा था, “लोग टैक्स चुका रहे हैं. लोगों का पैसा इस तरह की गतिविधियों को वित्तपोषित करने में इस्तेमाल किया जा रहा है.इन गैर सरकारी संगठनों को बिना जांच पड़ताल के पैसा दिया गया है.”
मुजफ्फरपुर बालिका आश्रय गृह केस में सुप्रीम कोर्ट का बिहार सरकार और CBI को नोटिस, ये है पूरा मामला
देश और दुनिया की ताजातरीन खबरों के लिए हमे फॉलो करें फेसबुक,गूगल प्लस, ट्विटर पर और डाउनलोड करें Inkhabar Android Hindi News App
Leave a Reply