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Republic Day 2025: पहली बार भारत में तिरंगा कब फहराया था…, जानें इसके फहराने के नियम

76 वें गणतंत्र दिवस पर घर घर तिरंगा लहराएगा. ...लेकिन क्या आप जानते हैं कि तिरंगा फहराने से लेकर उसे उतारने तक के नियम और प्रोटोकॉल है। 26 जनवरी को तिरंगा फहराने से पहले आपको भी इन नियमों के बारे में जान लेना चाहिए ताकि हम अपने राष्ट्रीय ध्वज को सम्मान दे सकें।

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Republic Day 2025
  • January 25, 2025 8:54 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 weeks ago

नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस हमारे देश का राष्ट्रीय पर्व है। इस साल हमारा देश 26 जनवरी को 76वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। इस दिन सभी सरकारी दफ्तरों, शिक्षण संस्थानों और घरों में तिरंगा फहराया जाता है। इस खास मौके पर सभी बाजार, मॉल और रेस्टोरेंट को भी तिरंगा थीम से सजाया जाता है। इसके अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।..लेकिन क्या आप जानते हैं कि तिरंगा फहराने से लेकर उतारने तक के नियम पूर्व निर्धारित हैं. नहीं जानते हैं तो जान लीजिए ताकि तिरंगा फहराते समय कोई चूक न हो जाए.

भारतीय ध्वज संहिता क्या है ?

तिरंगा हमारे देश की आन-बान और शान का प्रतीक है। ऐसे में इसे फहराने के लिए कुछ खास दिशा-निर्देश हैं। जो हर भारतीय को पता होने चाहिए। ये नियम ‘भारतीय ध्वज संहिता’ के तहत निर्धारित किए गए हैं। इस दिन सभी सरकारी दफ्तरों, शिक्षण संस्थानों और घरों में तिरंगा फहराया जाता है ऐसे में इसे फहराने के लिए कुछ खास दिशा-निर्देश हैं.

राष्ट्रपति के द्वारा तिरंगा फहराया जाएगा

गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर राष्ट्रपति द्वारा तिरंगा फहराया जाता है। जबकि स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर पर तिरंगा झंडा फहराते हैं। तिरंगा फहराने के नियमों को जानना हर भारतीय का कर्तव्य है। इन नियमों का उद्देश्य राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा और सम्मान को बनाए रखना है। इसमें तिरंगा फहराने से लेकर उसे उतारने तक के नियम शामिल हैं।

अब रात में भी फहराया जा सकेगा तिरंगा

केंद्र सरकार ने तिरंगा फहराने से जुड़े नियमों में बदलाव किया है। पुराने नियमों के मुताबिक सूर्योदय से सूर्यास्त तक झंडा फहराया जा सकता था, लेकिन नए नियमों के मुताबिक अब रात में भी तिरंगा फहराया जा सकेगा। आपको बता दें कि भारत सरकार ने फ्लैग ऑफ कोड इंडिया के नियमों में संशोधन किया है।

देश में झंडा फहराना, दिखाना या इस्तेमाल करना भारतीय झंडा संहिता 2002 और राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के तहत आता है। भारत सरकार ने 20 जुलाई को इस कानून में बदलाव किया है। जिसके बाद अब रात में भी तिरंगा फहराने की आजादी है।

पहली बार कब फहराया गया झंडा

आजादी से पहले हमने ब्रिटिश शासन के दौरान भी झंडा फहराया था। इतिहासकारों के अनुसार, देश में सबसे पहले इसे 07 अगस्त 1909 को कोलकाता के पारसी गार्डन में फहराया गया था।

क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों को नीचा दिखाने के लिए ऐसा किया और इसे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार कर लिया। उस समय झंडा लाल, पीला और हरा रंग का था। हरे रंग की पट्टी पर फूल था, पीली पट्टी पर वंदे मातरम लिखा था और लाल पट्टी पर चांद और सूरज बने थे।

स्वतंत्र भारत के तिरंगे के जन्मदाता कौन हैं?

स्वतंत्र भारत के तिरंगे के जन्मदाता पिंगली वांकयानंद थे। पिंगली वांकयानंद का जन्म 2 अगस्त 1876 को हुआ था। वे पेशे से कृषि वैज्ञानिक थे। आजादी के समय वे गांधी जी के साथ जुड़ गए थे। उन्होंने आजादी में अहम भूमिका निभाई थी। वर्तमान ध्वज को आधिकारिक तौर पर 26 जुलाई 1950 को स्वीकार किया गया था।

जानें नियम

तिरंगे को अब सूर्योदय और सूर्यास्त के बाद भी फहरा सकते हैं ।

इसे सूर्यास्त से पहले किसी भी संस्थान में उतार लेना चाहिए।

तिरंगे को कभी भी जमीन पर नहीं रखना चाहिए। ऐसा करने से हम तिरंगे का अपमान करते हैं।

तिरंगे पर कभी भी किसी तरह का लेखन नहीं करना चाहिए।

तिरंगे को कभी भी उल्टा नहीं फहराना चाहिए।

तिरंगा फहराते समय ध्यान रखें कि यह उल्टा न हो।

तिरंगा कभी भी जला हुआ, फटा हुआ या मुड़ा हुआ नहीं होना चाहिए। इसे ठीक से मोड़कर रखें।

तिरंगे को कभी भी पानी में नहीं डुबाना चाहिए।

तिरंगा फहराने के बाद एक मिनट का मौन रखना चाहिए और सलामी देनी चाहिए।

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