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गीतकार गुलजार और रामभद्राचार्य को मिला 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया सम्मानित

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को प्रख्यात कवि-गीतकार गुलजार और संस्कृत विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य को वर्ष 2023 के लिए 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया. यह पुरस्कार भारतीय साहित्य में उनके असाधारण योगदान के लिए प्रदान किया गया. गुलजार स्वास्थ्य कारणों से समारोह में उपस्थित नहीं हो सके जबकि रामभद्राचार्य ने व्यक्तिगत रूप से पुरस्कार ग्रहण किया.

Gyanpith Award 2025
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  • Last Updated: May 16, 2025 22:44:37 IST

Gyanpith Award 2025: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को प्रख्यात कवि-गीतकार गुलजार और संस्कृत विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य को वर्ष 2023 के लिए 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया. यह पुरस्कार भारतीय साहित्य में उनके असाधारण योगदान के लिए प्रदान किया गया. गुलजार स्वास्थ्य कारणों से समारोह में उपस्थित नहीं हो सके जबकि रामभद्राचार्य ने व्यक्तिगत रूप से पुरस्कार ग्रहण किया.

गुलजार- उर्दू साहित्य का चमकता सितारा

90 वर्षीय गुलजार जिनका असली नाम सम्पूर्ण सिंह कालरा है. हिंदी सिनेमा और उर्दू साहित्य में अपने अनमोल योगदान के लिए विश्वविख्यात हैं. उनकी कविताएं और गीत जीवन की सच्चाइयों को गहराई से उजागर करते हैं. उनके प्रसिद्ध गीतों में “मैंने तेरे लिए” (आनंद) और “दिल ढूंढता है” (मौसम) शामिल हैं. गुलजार को सात राष्ट्रीय पुरस्कार 21 फिल्मफेयर पुरस्कार 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार 2004 में पद्मभूषण, 2008 में “जय हो” गीत के लिए ऑस्कर और ग्रैमी, तथा 2013 में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. राष्ट्रपति ने उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की.

रामभद्राचार्य- संस्कृत साहित्य के महान विद्वान

75 वर्षीय जगद्गुरु रामभद्राचार्य, चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक ने 240 से अधिक ग्रंथों की रचना की है. जिनमें चार महाकाव्य शामिल हैं. मात्र पांच वर्ष की आयु में उन्होंने भगवद्गीता का अध्ययन शुरू किया और सात वर्ष की आयु में रामचरितमानस का पाठ किया. शारीरिक चुनौतियों के बावजूद उनकी “दिव्य दृष्टि” ने साहित्य और समाज की अनुपम सेवा की. राष्ट्रपति ने कहा रामभद्राचार्य जी ने उत्कृष्टता के प्रेरणादायक उदाहरण स्थापित किए हैं. उनकी पाणिनि की अष्टाध्यायी, ब्रह्मसूत्र और उपनिषदों पर व्याख्या को भी सराहा गया. उन्हें 2005 में साहित्य अकादमी पुरस्कार और 2015 में पद्मविभूषण प्राप्त हुआ.

ज्ञानपीठ पुरस्कार का गौरव

1961 में स्थापित, ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय भाषाओं के उत्कृष्ट साहित्यकारों को सम्मानित करता है. इस पुरस्कार से पहले फिराक गोरखपुरी, रामधारी सिंह दिनकर, आशापूर्णा देवी, महादेवी वर्मा और गिरीश कर्नाड जैसे साहित्यकार सम्मानित हो चुके हैं. रामभद्राचार्य को प्रशस्ति पत्र, नकद पुरस्कार और वाग्देवी सरस्वती की कांस्य प्रतिमा प्रदान की गई. वर्ष 2024 के लिए हिंदी लेखक विनोद कुमार शुक्ल को 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार देने की घोषणा की गई है.

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