विवक्ष के नेता राहुल गांधी काफी जोश में रहते हैं और कई बार बिना फैक्ट चेक किये ही बोल जाते हैं. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोलते हुए उन्होंने मोदी राज में चीन द्वारा भारत की जमीन हड़पने और मैन्युफैक्चरिंग में भारत के पीछे रहने की बात बोलकर बुरी तरह फंस गये हैं.
नई दिल्ली. संसदीय प्रणाली में राजनीतिक दल के नेताओं को सड़क से लेकर संसद तक बोलने की आजादी होती है. दोनों जगहों पर बस फर्क इतना होता है कि संसद में गलत बयानी करने पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकती और बाहर गलतबयानी या मानहानि करने पर अदालत में घसीटा जा सकता है. विवक्ष के नेता राहुल गांधी काफी जोश में रहते हैं और कई बार बिना फैक्ट चेक किये ही बोल जाते हैं. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोलते हुए उन्होंने मोदी राज में चीन द्वारा भारत की जमीन हड़पने और मैन्युफैक्चरिंग को लेकर ऐसी बात कह दी कि पीएम मोदी ने मंगलवार को लोकसभा में जवाब देते हुए उनकी बखिया उधेड़ दी और किताब विशेष को पढ़ने की सलाह दे डाली.
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी के कल बोलने के बाद आज जवाब देने की बारी थी पीएम मोदी की. यूं तो पीएम मोदी ने पूरे विपक्ष पर निशाना साधा लेकिन राहुल गांधी को इशारों ही इशारों में घेरा और यह जताया कि बेशक वह विदेश नीति पर बोलकर अपने को परिपक्व नेता साबित करने में जुटे हैं लेकिन उन्हें विदेश नीति के बारे में कोई ज्ञान नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को कहना चाहता हूं कि अगर उनकी सच में फॉरेन पॉलिसी सब्जेक्ट में रुचि है और उसे समझना है या आगे जाकर कुछ करना है तो वह एक किताब जरूर पढ़ें. कहां बोलना है, कितना बोलना है उनको इसकी समझ हो जाएगी.
किताब का नाम है JFK’s Forgotten Crisis : Tibet, the CIA, and the Sino-Indian War”. इसके लेखक हैं ब्रूस रिडेल. खास बात यह है कि इस किताब में भारत के पहले प्रधानमंत्री जो विदेश नीति भी देखते थे, पंडित नेहरू और अमेरिका के तब के राष्ट्रपति कैनेडी के बीच हुई चर्चा और फैसलों का विस्तार से वर्णन है. उन्हें पता चल जाएगा कि जब देश चुनौतियों से जूझ रहा था, तब क्या खेल चल रहा था. पीएम मोदी की य़े बाते सुनकर विदेश मंत्री एस जयशंकर भी अपनी हंसी नहीं रोक पाए.
दरअसल राहुल गांधी ने दो बयान दिये थे जो तथ्यात्मक रूप से सही नहीं थे. सोमवार को उन्होंने लोकसभा में कहा था कि भारतीय सेना ने लद्दाख में चीनी सेना की घुसपैठ के बारे में पीएम मोदी के दावों का खंडन किया है. हाल में विदेश मंत्री एस जयशंकर के अमेरिका दौरे को लेकर राहुल गांधी ने कहा था कि ‘हम प्रोडक्शन में बहुत पीछे हैं, अगर भारत में अच्छा प्रोडक्शन सिस्टम होता तो विदेश मंत्री को यूएस जाकर अमेरिकी राष्ट्रपति की ताजपोशी में हमारे पीएम को शामिल कराने के लिए अनुरोध नहीं करना पड़ता.’
इसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राहुल गांधी के भाषण पर सवाल उठाते हुए कहा, सेना प्रमुख के हवाले से कहे गए शब्द कभी भी उनकी ओर से नहीं बोले गए थे. यह बहुत अफसोसजनक है कि राहुल गांधी राष्ट्रीय हित के मामलों पर गैर-जिम्मेदार राजनीति करते हैं. अगर कोई भारतीय क्षेत्र है, जिसमें चीन घुसा है तो वह 1962 के युद्ध के बाद अक्साई चिन में 38 हजार वर्ग किमी और 1963 में पाकिस्तान द्वारा चीन को अवैध रूप से सौंपे गए 5,180 वर्ग किमी क्षेत्र हैं. राहुल गांधी आत्मनिरीक्षण करें.
इसी तरह विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी राहुल गांधी के बयान को तथ्यों से परे बताया. जयशंकर ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने दिसंबर 2024 की मेरी अमेरिका यात्रा के बारे में झूठ बोला.” उन्होंने तत्कालीन विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन से मुलाकात करने और भारत के महावाणिज्य दूतों की बैठक की अध्यक्षता करने के लिए अमेरिका का दौरा किया था. उन्होंने कहा, “मेरी यात्रा के दौरान भावी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से मुलाकात हुई थी. जयशंकर ने कहा, “किसी भी स्तर पर प्रधानमंत्री को निमंत्रण देने के बारे में चर्चा नहीं की गई. हमारे प्रधानमंत्री ऐसे कार्यक्रमों में शामिल नहीं होते. वास्तव में, भारत का प्रतिनिधित्व विशेष दूत करते हैं. राहुल गांधी के झूठ का उद्देश्य राजनीतिक हो सकता है, लेकिन उससे विदेश में राष्ट्र को नुकसान पहुंचता है.
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#WATCH | PM Narendra Modi says, “While discussing the President’s Address, foreign policy was also discussed here. A few people think that they don’t appear mature if they don’t speak on foreign policy. They think that they should definitely speak on foreign policy, even if it… pic.twitter.com/LDXPl0c3q4
— ANI (@ANI) February 4, 2025