Masood Azhar: भारत ने हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों पर जबरदस्त हमले किए. यह कार्रवाई 22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब थी. जिसमें 25 भारतीयों और एक नेपाली नागरिक सहित 26 लोग मारे गए थे. भारतीय वायुसेना ने 7 मई, 2025 को नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. जिसमें जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) का बहावलपुर स्थित मुख्यालय ‘जमिया मस्जिद सुभान अल्लाह’ भी शामिल था. इस ऑपरेशन में 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया गया. जिसमें मसूद अजहर के 14 परिवारजन और चार करीबी सहयोगी भी शामिल थे.
पाकिस्तान सरकार ने अब एक विवादास्पद फैसला लिया है. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए लोगों के परिवारों को प्रति व्यक्ति 1 करोड़ रुपये मुआवजे का ऐलान किया है. द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार इस नीति के तहत संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित वैश्विक आतंकी मसूद अजहर को 14 करोड़ रुपये मिल सकते हैं. क्योंकि उनके 14 परिवारजन मारे गए थे. मृतकों में उनकी बड़ी बहन, उनके पति, भतीजा, भतीजी, और पांच बच्चे शामिल हैं. यदि मसूद अजहर एकमात्र कानूनी वारिस साबित होता है, तो उसे यह पूरी राशि मिल सकती है.
मसूद अजहर, जैश-ए-मोहम्मद का संस्थापक, भारत के खिलाफ कई आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड रहा है. 2001 के संसद हमले, 2016 के पठानकोट हमले, और 2019 के पुलवामा हमले में उसकी संलिप्तता साबित हो चुकी है. 1999 में उसे इंडियन एयरलाइंस की उड़ान IC-814 के अपहरण के बाद रिहा किया गया था. संयुक्त राष्ट्र ने मई 2019 में उसे वैश्विक आतंकी घोषित किया था.
पाकिस्तान का यह कदम उसकी आतंकवाद के प्रति दोहरी नीति को उजागर करता है. एक ओर वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का दावा करता है वहीं दूसरी ओर आतंकियों के परिवारों को मुआवजा देकर उनका समर्थन करता है. शहबाज शरीफ ने इसे ‘शहीदों के परिवारों के प्रति कर्तव्य’ करार दिया. लेकिन भारतीय अधिकारियों ने इसे आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला कदम बताया है. इसके अलावा पाकिस्तान ने हमले में नष्ट हुए घरों को फिर से बनाने का भी वादा किया है जिससे डर है कि ये स्थान फिर से आतंकी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल हो सकते हैं.
पाकिस्तान का यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब उसे हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से 1 बिलियन डॉलर का ऋण मिला है. इस मुआवजे ने न केवल भारत, बल्कि वैश्विक समुदाय में भी आक्रोश पैदा किया है. भारतीय रक्षा अधिकारियों ने कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर में सटीक हथियारों का इस्तेमाल किया गया था ताकि नागरिक हताहत न हों, लेकिन पाकिस्तान इसे नागरिक क्षति के रूप में प्रचारित कर अंतरराष्ट्रीय सहानुभूति बटोरने की कोशिश कर रहा है.
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