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अब आधार से जुड़ेगा वोटर ID! चुनाव आयोग और गृह मंत्रालय की बड़ी मीटिंग में हुआ अहम फैसला

Election Commission देश भर के मतदाता पहचान पत्रों को आधार से जोड़ा जाएगा। इसको लेकर एक बड़ा फैसला चुनाव आयोग ने लिया है। जल्द ही चुनाव आयोग और आधार तैयार करने वाली संस्था भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के तकनीक विशेषज्ञ इस पर काम करेंगे। आयोग के पास वैसे भी मौजूदा समय में 66 करोड़ से अधिक मतदाताओं के आधार मौजूद है।

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inkhbar News
  • March 18, 2025 11:03 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 month ago

नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने मतदाता पहचान पत्र (EPIC) को आधार से जोड़ने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इसका उद्देश्य मतदाता सूची की सटीकता बढ़ाना और फर्जीवाड़े को रोकना है। इस फैसले को लागू करने के लिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के तकनीकी विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम किया जाएगा।

बैठक में लिया गया अहम फैसला

मंगलवार को हुई बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त डॉ. एसएस संधू और डॉ. विवेक जोशी ने केंद्रीय गृह सचिव, विधायी विभाग के सचिव और UIDAI के सीईओ के साथ इस विषय पर चर्चा की। बैठक में मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने की कानूनी और तकनीकी चुनौतियों पर विचार किया गया।

चुनाव आयोग के अनुसार, 99 करोड़ मतदाताओं में से 66 करोड़ से अधिक ने स्वेच्छा से अपने आधार नंबर आयोग को प्रदान किए हैं। हालांकि, इन्हें अभी मतदाता पहचान पत्र से लिंक नहीं किया गया है। आयोग अब बाकी 33 करोड़ मतदाताओं के आधार नंबर जुटाने पर ध्यान केंद्रित करेगा।

डेटा सुरक्षा

बैठक में यह भी स्पष्ट किया गया कि आधार से EPIC को जोड़ने की प्रक्रिया में किसी भी तरह का डेटा साझा नहीं किया जाएगा। यह प्रणाली केवल मतदाता की पहचान प्रमाणित करेगी और फर्जी नामों या एक से अधिक स्थानों से जुड़े मतदाताओं को हटाने में मदद करेगी।

मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने के फायदे

1. फर्जी मतदाताओं की पहचान होगी और गड़बड़ियों को दूर किया जाएगा।

2. मतदाता सूची अधिक प्रमाणिक और पारदर्शी बनेगी।

3. एक व्यक्ति के नाम पर एक ही जगह से वोट डालने की अनुमति होगी, जिससे दोहरी प्रविष्टियों को रोका जा सकेगा।

4. राजनीतिक दलों की शिकायतें कम होंगी, क्योंकि मतदाता सूची अधिक सटीक होगी।

5. पता अपडेट करना आसान होगा, क्योंकि लोग आधार में पता बदलने के बाद भी मतदाता पहचान पत्र में अपडेट नहीं कराते।

 

संवैधानिक और कानूनी पहलू

चुनाव आयोग ने इस निर्णय से पहले संविधान के अनुच्छेद 326 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4), 23(5) और 23(6) की समीक्षा की है। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट के 2023 के फैसले को भी ध्यान में रखा गया है, जिसमें आधार को अनिवार्य करने की बाध्यता नहीं थी।

अगले कदम क्या होंगे?

चुनाव आयोग का मानना है कि मतदाता सूची की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए मतदाता खुद ही आधार से जुड़ने के लिए आगे आएंगे। इस प्रक्रिया को सुचारू रूप से लागू करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की मदद से एक एप्लिकेशन तैयार किया गया है, जिससे आधार और EPIC को सुरक्षित तरीके से जोड़ा जा सके।

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