Madras High Court: मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु के वन मंत्री के. पोनमुडी के खिलाफ महिलाओं और धार्मिक समुदायों पर आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में कड़ा रुख अपनाया है. कोर्ट ने राज्य सरकार को 23 अप्रैल 2025 तक पोनमुडी के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश दिया है. जस्टिस आनंद वेंकटेश ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि सरकार निर्धारित समय तक FIR दर्ज नहीं करती तो कोर्ट स्वत संज्ञान लेकर कार्रवाई शुरू करेगा. कोर्ट ने कहा ‘जब सरकार दूसरों के खिलाफ हेट स्पीच पर सख्ती दिखाती है तो अपने ही मंत्री के ऐसे बयानों पर भी वही गंभीरता दिखानी चाहिए.’
पोनमुडी ने अप्रैल 2025 में थंथई पेरियार द्रविड़ कझगम के एक कार्यक्रम में शैव और वैष्णव समुदायों के धार्मिक प्रतीकों और महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं. उन्होंने एक सेक्स वर्कर और ग्राहक के बीच कथित बातचीत का जिक्र करते हुए शैव और वैष्णव समुदायों के तिलक प्रथाओं का मजाक उड़ाया. जिसे ‘अश्लील और शर्मनाक’ बताया गया. इस भाषण का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. जिसके बाद व्यापक आक्रोश फैल गया. वकील बी. जगन्नाथ ने कोर्ट में याचिका दायर कर पोनमुडी को मंत्री पद से हटाने और अयोग्य घोषित करने की मांग की.
विवाद बढ़ने पर डीएमके अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 11 अप्रैल को पोनमुडी को पार्टी के उप महासचिव पद से हटा दिया. उनकी जगह त्रिची सिवा को नियुक्त किया गया. पोनमुडी ने सार्वजनिक माफी मांगते हुए कहा ‘मैंने अनुचित शब्दों का इस्तेमाल किया. जिसके लिए मुझे तुरंत पछतावा हुआ. मैं सभी से दिल से माफी मांगता हूं.’ हालांकि कोर्ट ने माना कि सार्वजनिक माफी से इस मामले को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि पोनमुडी ने स्वयं अपने बयान को स्वीकार किया है.
पोनमुडी के बयान पर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी. बीजेपी के तमिलनाडु अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने कहा ‘डीएमके अगर यह सोचती है कि पार्टी पद से हटाने से लोग इस मामले को भूल जाएंगे तो यह उनकी भूल है.’ बीजेपी उपाध्यक्ष नारायणन तिरुपाठी ने इसे तमिलनाडु की महिलाओं का अपमान बताते हुए स्टालिन से पोनमुडी की गिरफ्तारी की मांग की. एआईएडीएमके नेता सेल्लुर राजू ने कहा ‘पोनमुडी की आदत है कि वे महिलाओं और हाशिए पर पड़े समुदायों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां करते हैं.’ डीएमके सांसद कनिमोझी ने भी बयान को अस्वीकार्य और निंदनीय बताया.
यह पहली बार नहीं है जब पोनमुडी विवादों में घिरे हैं. इससे पहले उन्होंने हिंदी भाषियों को पानीपुरी बेचने वालों से जोड़कर टिप्पणी की थी. जिसने राजनीतिक हलकों में हंगामा मचाया था. इसके अलावा 2023 में मद्रास हाईकोर्ट ने पोनमुडी और उनकी पत्नी को असंगत संपत्ति मामले में तीन साल की सजा सुनाई थी. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बाद में स्थगित कर दिया. उनकी यह टिप्पणी डीएमके की छवि के लिए नई चुनौती बनकर उभरी है.
मद्रास हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि एक ही मामले में कई FIR दर्ज करने की जरूरत नहीं है लेकिन मौजूदा शिकायतों के आधार पर एक FIR अवश्य दर्ज होनी चाहिए. यदि सरकार समय पर कार्रवाई नहीं करती तो कोर्ट का स्वत संज्ञान लेना डीएमके सरकार के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकता है.
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