नई दिल्लीः इजरायल – हमास युद्ध तेज होने के बीच, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्थिति को बहुत जटिल करार दिया है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के बीच मानवीय संघर्ष विराम के लिए हाल में संयुक्त राष्ट्र महासभा में लाए गए प्रस्ताव पर मतदान से भारत के दूर रहने के फैसले को उचित ठहराया। साथ ही जयशंकर ने इजरायली शहरों पर हमास द्वारा सात अक्टूबर को किए गए हमलों को आतंकवाद करार दिया और फिसिस्तीन मुद्दे की बात – चीत के जरिए समाधान निकालने का समर्थन किया।
उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि यह एक बहुत ही जटिल स्थिति है लेकिन कई सारी संभावनाएं हैं। जो पूरी तरह से साफ नहीं हैं – अच्छी संभावनाएं नजर नहीं आ रही है। यह पूछे जाने पर कि क्या मौजूदा संकट आई2यू2 समूह के तहत की गई पहल और महत्वाकांक्षी भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा परियोजना के क्रियान्वयन को प्रभावित करेगा ? जयशंकर ने कहा कि निश्चित या यहां तक कि कोई अर्द्ध-निश्चित निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से अप्रत्याशित समस्याएं गंभीर प्रकृति की भी हो सकती हैं और हम अभी ऐसा देख रहे हैं…और अगर आपके पास कोई बड़ा लक्ष्य और बड़ी योजना है।
जयशंकर ने हमास-इजरायल संघर्ष पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में लाए गए प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहने के फैसले को भी उचित ठहराया। विदेश मंत्री ने कहा कि अगर आप औसत भारतीय से पूछेंगे, तो आतंकवाद एक ऐसा मुद्दा है जो लोगों के दिल के बहुत करीब है क्योंकि बहुत कम देश या समाज आतंकवाद से उतने पीड़ित हैं, जितने कि हम पीड़ित हैं।
उन्होंने कहा कि जब आगे के घटनाक्रम हुए और इजरायली सैनिक गाजा की ओर बढ़ गए, तो मुझे लगता है कि हमने सैद्धांतिक रूप से यह भी माना कि जो भी कार्रवाई की जाए, उसमें अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का अवश्य ही पालन किया जाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पिछले सप्ताह गाजा पट्टी में इजराइली सैनिकों और हमास के बीच तत्काल एवं टिकाऊ मानवीय संघर्ष विराम के प्रस्ताव को लागू किया था।