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भारत-पाक तनाव: अमेरिकी विदेश मंत्री ने जयशंकर और पाक सेना प्रमुख से की बातचीत, शांति की अपील

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर और पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिफ मुनीर से फोन पर बात की। रुबियो ने तनाव कम करने और सीधे संवाद को बढ़ावा देने पर जोर दिया। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता टैमी ब्रुस ने कहा कि रुबियो ने विवादों से बचने के लिए उत्पादक चर्चाओं में अमेरिकी समर्थन की पेशकश की।

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inkhbar News
  • May 10, 2025 12:20 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 days ago

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए अमेरिका ने कूटनीतिक सक्रियता तेज कर दी है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर को फोन कर मौजूदा हालात पर चर्चा की। इससे पहले उन्होंने पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर से भी बातचीत की थी।

टैमी ब्रुस ने कहा

अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रुस ने बयान जारी करते हुए बताया कि विदेश मंत्री रुबियो ने डॉ. जयशंकर से हुई बातचीत में भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव को गंभीरता से लिया और दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की। रुबियो ने बातचीत में ज़ोर दिया कि वर्तमान स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए दोनों देशों के बीच प्रत्यक्ष संवाद की प्रक्रिया को फिर से शुरू किया जाना चाहिए।

प्रवक्ता ब्रुस ने बताया कि अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि वॉशिंगटन क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए रचनात्मक कूटनीति का समर्थन करता है। उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच भविष्य में टकराव से बचने के लिए अमेरिका की ओर से किसी भी सकारात्मक बातचीत या पहल में सहयोग देने की पेशकश की है। रुबियो ने यह भी कहा कि गलतफहमियों से बचने और भरोसे की बहाली के लिए संवाद ही एकमात्र रास्ता है।

बातचीत काफी अहम मानी जा रही

भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया टकराव की पृष्ठभूमि में यह बातचीत काफी अहम मानी जा रही है। पाकिस्तान ने दावा किया है कि भारत ने उसके चार सैन्य एयरबेस को निशाना बनाते हुए मिसाइल हमले किए हैं, जबकि भारत की ओर से इस पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। जवाब में पाकिस्तान की ओर से भी ड्रोन और मिसाइल हमलों की कोशिश की गई, जिन्हें भारत की सुरक्षा प्रणाली ने नाकाम कर दिया। इन घटनाओं के बीच अमेरिका की मध्यस्थता की कोशिश बताती है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस तनाव को लेकर गंभीर है और किसी भी प्रकार के सैन्य संघर्ष को रोकना चाहता है। अमेरिका का यह रुख दक्षिण एशिया में शांति स्थापना की दिशा में एक अहम पहल के रूप में देखा जा रहा है।

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