India Pakistan Ceasefire: भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में बढ़े तनाव के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दावा किया है कि दोनों देशों ने ‘पूर्ण और तत्काल युद्धविराम’ पर सहमति जताई है. लेकिन आखिर यह सीजफायर क्या है? इसका मतलब और महत्व क्या है? आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं.
सीजफायर का मतलब है ‘युद्धविराम’ या ‘लड़ाई को रोकना’. जब दो देश, समूह या सेनाएं आपस में लड़ रही हों और वे एक समझौते के तहत अपनी सैन्य कार्रवाइयां (जैसे गोलीबारी, बमबारी या हमले) रोकने पर सहमत होते हैं तो उसे सीजफायर कहते हैं. यह एक अस्थायी या स्थायी समझौता हो सकता है जिसका मकसद तनाव कम करना और शांति की संभावना तलाशना होता है.
उदाहरण के लिए अगर भारत और पाकिस्तान की सेनाएं नियंत्रण रेखा (LoC) पर गोलीबारी कर रही हैं और दोनों देश यह तय करते हैं कि अब हमले नहीं होंगे तो यह सीजफायर कहलाएगा.
भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर का इतिहास पुराना है. दोनों देशों के बीच कश्मीर को लेकर लंबे समय से तनाव है और नियंत्रण रेखा पर अक्सर गोलीबारी होती रहती है. पहले भी कई बार सीजफायर समझौते हुए हैं जैसे 2003 में हुआ सीजफायर जिसे दोनों देशों ने कुछ समय तक माना. लेकिन कई बार यह टूट भी जाता है खासकर जब आतंकी हमले या सीमा पर उकसावे की घटनाएं होती हैं.
हाल ही में 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों पर हमला किया. इसके जवाब में पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइल हमले किए. इस तनाव के बीच डोनाल्ड ट्रम्प ने दावा किया कि दोनों देश अब हमले रोकने पर सहमत हो गए हैं.
सीजफायर लागू होने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाए जाते हैं.
समझौता- दोनों पक्ष (जैसे भारत और पाकिस्तान) बातचीत के जरिए हमले रोकने पर सहमत होते हैं. यह बातचीत सीधे या किसी तीसरे देश (जैसे अमेरिका) की मध्यस्थता से हो सकती है.
घोषणा- सहमति के बाद दोनों देश आधिकारिक तौर पर सीजफायर की घोषणा करते हैं.
निगरानी- सीजफायर का पालन हो रहा है या नहीं इसकी निगरानी की जाती है. इसके लिए सेना, संयुक्त राष्ट्र या अन्य निष्पक्ष संगठन नजर रखते हैं.
शर्तें- कई बार सीजफायर में शर्तें होती हैं जैसे सीमा पर सैनिकों की तैनाती कम करना या आतंकी गतिविधियां रोकना.
सीजफायर के कई फायदे हैं.
नुकसान कम होता है- सैनिकों और आम नागरिकों की जान बचती है.
शांति की राह- यह बातचीत और शांति समझौतों का रास्ता खोलता है.
आर्थिक लाभ- युद्ध पर होने वाला खर्च रुकता है जिससे दोनों देशों को राहत मिलती है.
क्षेत्रीय स्थिरता- इससे पूरे क्षेत्र में तनाव कम होता है.
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