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टेरीटोरियल आर्मी भारतीय सेना से कैसे अलग, कब पड़ती है जरूरत और कौन हो सकता है भर्ती?

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और ऑपरेशन सिंदूर के बाद रक्षा मंत्रालय ने सेना प्रमुख को टेरीटोरियल आर्मी (प्रादेशिक सेना) की तैनाती के लिए विशेष अधिकार दिए हैं. 6 मई 2025 की अधिसूचना के तहत, सेना प्रमुख को टेरीटोरियल आर्मी के अधिकारियों और कर्मियों को आवश्यकतानुसार बुलाने की शक्ति प्रदान की गई है. यह स्वैच्छिक सैन्य बल जिसे 'नागरिक सैनिकों' की सेना भी कहा जाता है. नियमित सेना का समर्थन करती है. आइए जानते हैं कि टेरीटोरियल आर्मी क्या है यह भारतीय सेना से कैसे अलग है इसकी जरूरत कब पड़ती है और इसमें भर्ती की प्रक्रिया क्या है.

Operation Sindoor
inkhbar News
  • May 9, 2025 6:26 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 days ago

Operation Sindoor: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और ऑपरेशन सिंदूर के बाद रक्षा मंत्रालय ने सेना प्रमुख को टेरीटोरियल आर्मी (प्रादेशिक सेना) की तैनाती के लिए विशेष अधिकार दिए हैं. 6 मई 2025 की अधिसूचना के तहत, सेना प्रमुख को टेरीटोरियल आर्मी के अधिकारियों और कर्मियों को आवश्यकतानुसार बुलाने की शक्ति प्रदान की गई है. यह स्वैच्छिक सैन्य बल जिसे ‘नागरिक सैनिकों’ की सेना भी कहा जाता है. नियमित सेना का समर्थन करती है. आइए जानते हैं कि टेरीटोरियल आर्मी क्या है यह भारतीय सेना से कैसे अलग है इसकी जरूरत कब पड़ती है और इसमें भर्ती की प्रक्रिया क्या है.

टेरीटोरियल आर्मी क्या है?

टेरीटोरियल आर्मी भारत का अंशकालिक (पार्ट-टाइम) सैन्य बल है जो नियमित भारतीय सेना की सहायता के लिए कार्य करता है. यह 1948 में टेरीटोरियल आर्मी एक्ट के तहत स्थापित हुई थी और इसे ‘सिटिजन सोल्जर्स’ की फोर्स भी कहा जाता है. इसके सदस्य सामान्य नागरिक होते हैं जो अपने पेशे (नौकरी या व्यवसाय) के साथ-साथ देश की सेवा के लिए सैन्य प्रशिक्षण लेते हैं. इसका प्राथमिक उद्देश्य नियमित सेना को स्थिर कर्तव्यों (जैसे सैन्य ठिकानों की सुरक्षा) से मुक्त करना, प्राकृतिक आपदाओं में सहायता करना और युद्ध या आपात स्थिति में अतिरिक्त बल प्रदान करना है.

भारतीय सेना से कैसे अलग है टेरीटोरियल आर्मी?

भारतीय सेना एक पूर्णकालिक पेशेवर सैन्य बल है जिसके सैनिक और अधिकारी पूरी तरह से सैन्य सेवा के लिए समर्पित होते हैं. इसके विपरीत, टेरीटोरियल आर्मी अंशकालिक होती है जिसमें नागरिक अपने सिविल करियर के साथ सैन्य सेवा को संतुलित करते हैं. टेरीटोरियल आर्मी के सैनिक साल में केवल कुछ महीनों (आमतौर पर दो महीने) के लिए प्रशिक्षण या सक्रिय सेवा में भाग लेते हैं. इसे पार्ट-टाइम कमिटमेंट, फुल-टाइम ऑनर का सिद्धांत कहा जाता है. भारतीय सेना का प्रशिक्षण और सेवा पूर्णकालिक और गहन होती है जबकि टेरीटोरियल आर्मी का प्रशिक्षण सीमित अवधि का होता है.

टेरीटोरियल आर्मी की जरूरत कब पड़ती है?

  • टेरीटोरियल आर्मी की तैनाती विशेष परिस्थितियों में की जाती है जैसे-
    युद्ध या सीमा तनाव- 1962, 1965, 1971 के युद्धों और कारगिल युद्ध में टेरीटोरियल आर्मी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वर्तमान में भारत-पाक तनाव के बीच इसकी
  • 14 बटालियनों को तैनात करने की तैयारी है.
  • प्राकृतिक आपदाएं- बाढ़, भूकंप, या अन्य आपदाओं में राहत और बचाव कार्यों के लिए.
  • आंतरिक सुरक्षा- कानून-व्यवस्था बनाए रखने या आंतरिक अशांति को नियंत्रित करने में.
  • राष्ट्रीय आयोजन- बड़े आयोजनों या आपातकाल के दौरान अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करने के लिए.
  • पर्यावरण संरक्षण- इकोलॉजिकल टास्क फोर्स के माध्यम से वनीकरण और पर्यावरण संरक्षण जैसे कार्य.

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