आठ दिन बाद यानी की 19 फरवरी को देश को 26वां नया मुख्य चुनाव आयुक्त मिल जाएगा. वहीं मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार 18 फरवरी को सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं. आइए बताते हैं, अब आगे क्या...
नई दिल्ली: आज से ठी आठ दिन बाद यानी की 19 फरवरी को देश को 26वां नया मुख्य चुनाव आयुक्त मिल जाएगा. वहीं मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार 18 फरवरी को रिटायर हो रहे हैं. दिल्ली विधानसभा चुनाव उनके कार्यकाल का आखिरी चुनाव था. 1988 बैच के ज्ञानेश कुमार के अगले नए मुख्य चुनाव आयुक्त बनने की उम्मीद है. हालाँकि, ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू दोनों 1988 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस हैं। लेकिन इनमें केरल कैडर के ज्ञानेश कुमार वरिष्ठ हैं.
भारत निर्वाचन आयोग के सूत्रों का कहना है कि दोनों चुनाव आयुक्तों ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू में से कोई यह जिम्मेदारी संभालेगा. इनमें मौजूदा चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार सीनियर हैं. ऐसे में उम्मीद है कि अगले सीईसी ज्ञानेश कुमार होंगे. लेकिन प्रधान मंत्री की अध्यक्षता वाली चयन समिति को केंद्रीय कानून मंत्री और दो केंद्रीय सचिवों वाली समिति द्वारा प्रस्तावित पांच नामों के अलावा सीईसी के लिए एक नाम चुनने का भी अधिकार है। चयन समिति द्वारा नाम फाइनल किये जाने के बाद अंतिम मंजूरी राष्ट्रपति द्वारा दी जाती है. जिसके बाद मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की जाती है.
भारत के चुनाव आयोग की वर्तमान प्रणाली में, आयोग में शीर्ष तीन पदों में एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त होते हैं। इनकी नियुक्ति चयन समिति की अनुशंसा पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। नए कानून के मुताबिक सर्च कमेटी की अध्यक्षता अब कैबिनेट सचिव की बजाय कानून मंत्री करेंगे. जिसमें दो केंद्रीय सचिव हैं. कानून मंत्री और दो केंद्रीय सचिवों वाली खोज समिति पांच नामों को शॉर्टलिस्ट करती है और उन्हें प्रधान मंत्री की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय चयन समिति को सौंपती है।
तीन सदस्यीय चयन समिति की अध्यक्षता प्रधान मंत्री करते हैं और इसमें एक केंद्रीय मंत्री और विपक्ष के नेता शामिल होते हैं। नये कानून के बाद आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त की यह पहली नियुक्ति होगी. आपको बता दें कि चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ भी काम कर चुके हैं.
वह उस समय केंद्रीय गृह मंत्रालय में कश्मीर संभाग के प्रभारी थे। जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला किया था. उन्होंने अयोध्या मामले में एमएचए डेस्क के प्रमुख के रूप में भी काम किया है। 2022 में वह सहकारिता मंत्रालय के सचिव थे।
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