नई दिल्ली. देश की राजधानी दिल्ली इस वक्त गलत वजहों से चर्चा में है. वायु प्रदूषण की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि दिल्ली में हेल्थ इमरजेंसी जैसे हालात बन गए हैं. दिल्ली में रोजाना एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) खतरे के निशान से ऊपर जा रहा है. दिल्ली की हवा आज सेहत के लिेए बेहद खतरनाक हो चुकी है लेकिन इसका कोई हल निकलता नजर नहीं आ रहा है. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल हों या बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी, सभी एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप तो कर रहे हैं लेकिन पर्यावरण पर आए इस आपातकालीन संकट का उपाय क्या है इस पर सभी चुप हैं. दिल्ली के प्रदूषण के लिए जनता भी उतनी ही जिम्मेदार है जितने नेता. आखिर यमुना को नाली बना देने वाले दिल्लीवालों को प्रकृति का कोप झेलना पड़ रहा है तो आश्चर्य कैसा.
दिल्ली में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित सभी आला सियासी नेता रहते हैं. दिल्ली में जहरीली होती हवा का दुष्प्रभाव इनके फेफड़ों पर भी पड़ रहा होगा. आम आदमी के मुकाबले नेताओं या अमीर लोगों के पास बचाव के ज्यादा संसाधन हैं लेकिन कोई कितना भी अमीर हो अपने लिए नई हवा नहीं चला सकता. अब जरा उन हजारों लोगों के बारे में सोच कर देखिए जिनकी जिंदगी सड़क पर ही गुजरती है. उनके पास ये विकल्प भी नहीं है कि वो हवा में भरे जहर के खिलाफ कुछ कर सकें. न उनके पास बचाव के उपाय हैं, न संसाधन.
प्रदूषण की शिकार दिल्ली का गुनाहगार कौन
दिल्ली के प्रदूषण को लेकर देश भर में लोग चिंतित हैं. हमारे न्यूज चैनल दिल्ली की जहरीली होती हवा पर लगातार टीवी पर दिखा रहे हैं क्योंकि अधिकांश चैनल दिल्ली से ही चलते हैं. इसके बावजूद दिल्ली की हवा सुधरेगी कैसे इस पर कोई कारगर उपाय किसी के पास नहीं है. दिल्ली अचानक प्रदूषित नहीं हो गई है. दिल्ली की आबो-हवा की हत्या की कोशिश निरंतर कई सालों से जारी है. इन्हीं कोशिशों का नतीजा आज हमारे सामने आ रहा है. दिल्ली के प्रदूषण के गुनाहगारों की पहचान करनी बेहद जरूरी है अगर आप सिर्फ हवा हवाई बातों से बहलना नहीं चाहते.
पहला गुनाहगार- दिल्ली सरकार- दिल्ली में प्रदूषण की समस्या आज की नहीं है. 90 के दशक से ही दिल्ली भीषण प्रदूषण का शिकार होने लगी थी. इसे देखते हुए पहले दिल्ली में चलने वाले सभी सार्वजनिक वाहनो सीएनजी से चलाने का आदेश दिया गया. शीला दीक्षित जब मुख्यमंत्री थीं तो उन्होंने दिल्ली को दुनिया का सबसे ग्रीन कैपिटल बनाया. लेकिन इसी दौरान दिल्ली में यमुना का अतिक्रमण होता रहा. कच्ची कॉलोनियां बढ़ती गईं. इन कॉलोनियों में कचरा निष्पादन, साफ पानी, नाला जैसी बुनियादी सुविधाएं तक नहीं थी. इससे दिल्ली और ज्यादा प्रदूषित हुई. दिल्ली के कल-कारखानों का गंदा पानी यमुना में निर्बाध प्रवाहित होता रहा. आखिरकार जिस यमुना के किनारे दिल्ली बसी थी, दिल्ली ने उसी यमुना की हत्या कर दी. सोच कर देखिए दिल्ली दुनिया का इकलौता शहर है जहां एक नदी बहती तो है लेकिन कोई उसके किनारे नहीं जाता.
दूसरा गुनाहगार- दिल्ली की जनता– हर समस्या का ठीकरा सरकार पर फोड़ना हमारे लिए सुविधाजनक होता है. लेकिन क्या इससे हम अपने गुनाहों पर पर्दा डाल सकेंगे? सुप्रीम कोर्ट से निर्देश आए कि दिवाली पर प्रदूषण फैलाने वाले पटाखे नहीं छोड़ने हैं लेकिन दिल्ली वाले नहीं माने. इसके बाद प्रदूषण पर सरकार को दोषी ठहराएंगे. दिल्ली की हर सड़क हर गली में लाखों की संख्या में अवैध गाड़ियां पार्किंग में मिलेंगी. इनमें से कई तो सालों से पड़़ी हैं और मलबे में तब्दील हो गई हैं.
सार्वजनिक परिवहन को तवज्जो न देकर अपनी महंगी एसी गाड़ियों का शौक पालना दिल्ली को महंगा पड़ रहा है. हैरानी की बात है कि दिल्ली में एक पीढ़ि पहले के लोग यमुना में नहाने जाते थे, आज उनके बच्चों ने कभी यमुना का किनारा भी नहीं देखा है. प्रकृति की हत्या करने में दिल्लीवालों ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. चाहे अतिक्रमण की बात करें या हमारे प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट करने की. दिल्ली की जनता ने बढ़ चढ़कर ये जिम्मेदारी निभाई है. कभी बावड़ियों और तालाबों के लिए दिल्ली मशहूर थी लेकिन अब आपको दिल्ली में बहता हुआ पानी प्रदूषित ही मिलेगा इसकी गारंटी है.
तीसरे गुनाहगार- केंद्र सरकार- दिल्ली देश की राजधानी है. यहां की जमीन और पुलिस दोनों केंद्र सरकार के हाथ में है. दिल्ली को तीन स्तर पर तीन तरह की सरकारें संचालित करती हैं. चार नगर निगमों के लिए अलग से चुनाव होते हैं. इस वक्त इन पर बीजेपी का कब्जा है. इसके अलावा दिल्ली की सरकार है जिसे आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल चला रहे हैं. तीसरे स्तर पर केंद्र सरकार है जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगुवाई कर रहे हैं. देश की संसद, सभी सांसदों का आवास दिल्ली में है. केंद्र में कांग्रेस और बीजेपी दोनों सरकारें लंबे समय तक रही हैं. ऐसा भी काफी वक्त तक चला है जब केंद्र में और दिल्ली में एक ही दल की सरकार हो, इसके बावजूद दिल्ली के प्रदूषण को कम करने के उपाय नहीं किए गए. केंद्र पर पूरे देश की जिम्मेदारी होती है लेकिन अगर वो देश की राजधानी को ही नहीं संभाल पा रही तो प्रदूषण के इस दोष से मोदी सरकार को भी मुक्त नहीं किया जा सकता.
चौथा गुनाहगार- दिल्ली के सेलेब्रिटी- दिल्ली ने सिनेमा हो या सियासत खूब नामचीन चेहरे दिए हैं. भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली दिल्ली से हैं तो बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान और अक्षय कुमार भी दिल्लीवाले हैं. इसी तरह दिल्ली से बड़े-बड़े अधिकारी, आईएएस, समाजसेवी न जाने कितने ही लोग हैं जो देश-दुनिया में ऊंचा मुकाम रखते हैं. लेकिन हमने बचपन में पढ़ा था कि सफलता सार्थक तभी होती है जब समाज के काम आए. सोचिए जरा कि दिल्लीवाले इन नामचीन हस्तियों ने दिल्ली के लिए क्या किया है. दिल्ली को मरने के लिए छोड़ दिया और खुद मुंबई या विदेश में शिफ्ट हो गए.
पांचवें गुनाहगार- मीडिया: दिल्ली, देश की ही नहीं न्यूज मीडिया की भी राजधानी है. दिल्ली-NCR की जहरीले होते हवा का प्रभाव तमाम मीडियाकर्मियों पर भी पड़ता है क्योंकि उनका दफ्तर, घर सब यहीं है. इसके बावजूद मीडिया के बहस का विषय कभी पाकिस्तान तो कभी बगदादी होता है. अपने आस-पास की सम्सयाएं इन्हें दिखाई नहीं देती. आखिर मीडिया का काम जनजागरुकता का है और सरकारों तक जनता की समस्याएं पहुंचाना भी. इसके बावजूद मीडिया ने दिल्ली में भरते जा रहे प्रदूषण के जहर के खिलाफ उस तरह का जागरुकता अभियान नहीं चलाया जिससे कुछ बदलाव संभव हो पाता. अब जब हेल्थ इमेरजेंसी आ गई है दिल्ली में तो हर मीडिया चैनल आपको डरा रहा है. इनसे पूछिए तब कहां थे जब स्थितियां खराब हो रही थीं.
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