भारत-पाकिस्तान में चल रहे तनाव के बीच मोदी सरकार ने देश भर में जातिगत जनगणना कराने का फैसला किया है. पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय हुआ. जाति जनगणना की शुरुआत बिहार से हुई थी. तब सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार के सारे दल पीएम मोदी से मिलने आये थे और जातिगत जनगणना की मांग की थी. शुरू में कांग्रेस इसका विरोध कर रही थी लेकिन बाद में उसने यू टर्न ले लिया और राहुल गांधी जातिगत जनगणना पर जोर देने लगे. यहां तक कि उन्होंने केंद्र सरकार के सचिवों की फेहरिस्त जारी कर दी कि पिछड़ी जाति से कितने सचिव हैं.
अब जबकि मोदी सरकार ने यह फैसला कर लिया है, विरोधी दलों की प्रतिक्रिया आई है. कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा है कि सरकार राहुल गांधी पर समाज को जातियों में बांटने का आरोप लगाती रही है. क्या सरकार अब समाज को जातियों में बांटेगी? उन्होंने कहा कि जो आजतक राहुल गांधी पर जातियों में बांटने का आरोप लगा रहे थे, वे ही अब इसे सरकार का मास्टरस्ट्रोक बताएंगे. उन्होंने आगे जोड़ा जब सरकार को राहुल गांधी की बात माननी ही थी तो विरोध क्यों किया.
पांचवीं बार ऐसा हो रहा है कि पहले राहुल गांधी की बातों का विरोध किया और बाद में उसे मान लिया.पवन खेड़ा ने कहा कि सामाजिक न्याय के लिए पहला कदम जाति जनगणना है लेकिन इतने से ही बात नहीं बनेगी. इसके साथ कई और कदम उठाने पड़ेंगे. उनका इशारा जिसकी जितनी संख्या भारी उतनी हिस्सेदारी की तरफ था.
केंद्र के इस फैसले पर राजद प्रमुख लालू यादव की भी प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने कहा कि हम समाजवादियों ने आरक्षण, जातिगणना, समानता, बंधुत्व, धर्मनिरपेक्षता को 30 साल पहले सोचे, दूसरे लोग उसे दशकों बाद फॉलो कर रहे हैं. जातिगत जनगणना की मांग करने पर हमें जातिवादी कहते थे, अब कैसे मान गये. राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि हमने 30 साल पहले यह मांग की थी. यह समाजवादियों और लालू यादव की जीत है. इससे पहले बिहार के सभी दलों ने प्रधानमंत्री से मिलकर जातिगत जनगणना की मांग की थी लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया था.
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