कोलकाता: पश्चिम बंगाल का शहर जलपाईगुड़ी में बुधवार शाम जमकर जश्न मनाया गया क्योंकि यहां की रहने वाली स्वपना बर्मन ने अपने पिता का सपना पूरा करते हुए एशियन गेम्स के हेप्टाथलन प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीत लिया. मामूली रिक्शा चालक की बेटी स्वपना इस स्पर्धा में गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं.
स्वप्ना ने के लिए ये राह कितनी चुनौतीपूर्ण इसका शायद किसी को अंदाजा भी नहीं हो सकता. परिवार के आर्थिक हालात बहुत खराब थे. रिक्शा चलाकर भी जब परिवार का गुजारा नहीं होता था तो तो चाय के पत्ते तोड़ते थे. बीमार पड़ गए तो मां ने दूसरों के घर में काम कर और चाय के पत्ते तोड़कर घर परिवार का गुजारा चलाने लगी.
बेटी की जीत पर खुशी के आंसू बहाती स्वप्ना की मां बशोना करती हैं कि स्वप्ना को ये मुकाम हासिल करने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा है. उन्होंने बताया कि हम उसकी जरूरतें पूरी नहीं कर पाते थे. यहां तक की जूतों के लिए भी उसे काफी संघर्ष करना पड़ता था लेकिन उसने कभी शिकायत नहीं की. उन्होंने ये भी बताया कि स्वप्ना के दोनों पैरों में 6 ऊंगलियां हैं जिसकी वजह से उसे लैंडिंग में कठिनाई होती है. ऐसे में उसके जूते भी जल्दी फट जाते हैं.
स्वप्ना की मां के मुताबिक उन्होंने उसका मैच नहीं देखा बल्कि मां काली के मंदिर में प्रार्थना करती रहीं. जब उन्हें स्वप्ना के जीतने की खबर मिली तो वो अपने आंसू रोक नहीं पाई. स्वप्ना के कोच सुकांत सिन्हा के मुताबिक स्वप्ना बेहद गरीब परिवार से थी लेकिन उसकी प्रतिभा देखकर उन्होंने उसे ट्रेनिंग दी. साल 2006 से 2013 तक वो उसके कोच रहे. उन्होंने बताया कि स्वप्ना जिद्दी है और शादय यही उसकी सबसे बड़ी ताकत भी है.
स्वप्ना बर्मन गोल्ड जीत रहीं थीं और परिवार देख रहा था .. खुशी की सीमा कहां रहती है ऐसे दृश्य देखने के बाद <3
Posted by Vikas Sharma on Thursday, 30 August 2018
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