नई दिल्ली. मोदी सरकार ने बरसों से जलती अमर जवान ज्योति को बुझा दिया है, यह देश के शहीदों का अपमान है। यह कहकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा केंद्र सरकार पर हमला बोल रहे हैं। राहुल-प्रियंका के साथ-साथ समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इस मुद्दे पर मोदी सरकार पर निशाना साधा है.राहुल ने कल ट्वीट किया, ‘बड़े दुख की बात है कि अमर जवान ज्योति जो हमारे वीरों के लिए जलती थी।
सैनिकों को आज बुझाया जाएगा। कुछ लोग देशभक्ति और बलिदान को नहीं समझ सकते। कोई फर्क नहीं पड़ता। हम अपने जवानों के लिए एक बार फिर अमर जवान ज्योति जलाएंगे।’
बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा।
कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते- कोई बात नहीं…
हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएँगे!— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 21, 2022
अमर जवान ज्योति को बुझाया नहीं गया
बहरहाल, बात यह है कि अमर जवान ज्योति को बुझाया नहीं गया है, बल्कि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जलती बत्ती में मिला दिया गया है. केंद्र सरकार के इस फैसले का जहां विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं, वहीं मोदी सरकार के इस फैसले का पूर्व सैनिकों ने गर्मजोशी से स्वागत किया है. अमर जवान ज्योति की ज्योति का शुक्रवार (21 जनवरी, 2022) को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में विलय कर दिया गया।
समारोह के दौरान चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ एयर मार्शल राधा कृष्ण ने वीर बलिदान की दो ज्वालाओं को आपस में मिलाया। मोदी सरकार के इस फैसले को यादगार बताते हुए रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल पीजेएस पन्नू ने कहा, ‘यह सरकार का बहुत अच्छा फैसला है. ट्रांसफर का सवाल ही नहीं है, सम्मान वहीं है जहां जवानों के नाम लिखे जाते हैं. नेशनल वॉर मेमोरियल है. एकमात्र स्थान जहां सैनिकों का सम्मान किया जाना चाहिए।”
#WATCH| "There should be no politics on the merger of Amar Jawan Jyoti & National War Memorial. It has become a trend to give a political angle to every initiative done by the Centre: 1971 war veteran and former Army Dy Chief Lt Gen JBS Yadava (Retd) pic.twitter.com/G2hlorvVfB
— ANI (@ANI) January 21, 2022
अमर जवान ज्योति का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के साथ विलय करना उचित होगा
एकीकृत रक्षा स्टाफ के सेवानिवृत्त प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ ने भी सरकार के फैसले की प्रशंसा की और कहा कि कोई विवाद नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, “इंडिया गेट प्रथम विश्व युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीरों को श्रद्धांजलि देने के लिए बनाया गया था।
हमारे पास सदियों से राष्ट्रीय युद्ध स्मारक नहीं था, इसलिए हम इसका पालन कर रहे थे। 1971 के युद्ध के बाद अमर जवान ज्योति स्थापित की गई थी। 1972 में इंडिया गेट पर। अब अमर जवान ज्योति का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के साथ विलय करना उचित होगा। कोई विवाद नहीं होना चाहिए।”
1971 के युद्ध के नायक रहे उप सेना प्रमुख (सेवानिवृत्त) जेबीएस यादव ने कहा, “हमारे पास युद्ध स्मारक नहीं था, इसलिए इंडिया गेट का इस्तेमाल किया गया।” अब जब हमारे पास राष्ट्रीय युद्ध स्मारक है, तो यह सही होगा कि अमर जवान ज्योति को भी राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में ही स्थापित किया जाए। उन्होंने आगे कहा, “देश में यह प्रथा बन गई है कि जब भी कोई सरकार अच्छा काम करती है, तो उसे राजनीति से जोड़ा जाता है। हम अंग्रेजों द्वारा बनाए गए स्मारक का उपयोग क्यों करें? हमारे देश का अपना सम्मान है।”
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