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शराब में डूबा अकबर बेगमों के पीछे पिचकारी लेकर दौड़ता था, अब मस्जिदों पर तिरपाल, कितनी बदल गई मुस्लिमों की होली!

Holi 2025: 64 साल बाद होली और रमजान का जुमा एक ही दिन पड़ रहा है। इससे पहले 4 मार्च 1961 को होली के दिन रमजान का जुमा पड़ा था। दोनों एक ही दिन होने की वजह से देश के सभी संवेदनशील क्षेत्रों में पुलिस-प्रशासन हाई अलर्ट पर है।

Holi 2025
  • March 13, 2025 8:27 am Asia/KolkataIST, Updated 6 days ago

Holi 2025: 64 साल बाद होली और रमजान का जुमा एक ही दिन पड़ रहा है। इससे पहले 4 मार्च 1961 को होली के दिन रमजान का जुमा पड़ा था। दोनों एक ही दिन होने की वजह से देश के सभी संवेदनशील क्षेत्रों में पुलिस-प्रशासन हाई अलर्ट पर है। उत्तर प्रदेश के कई मस्जिदों को रंग-गुलाल से बचाने के लिए तिरपाल से ढक दिया गया है। हिंदू-मुस्लिमों में तनाव की चिंता के बीच क्या आपको मालूम है कि एक ज़माने में मुग़ल बादशाह धूमधाम से होली मनाया करते थे। होली के दिन गरीब से गरीब आदमी भी मुग़ल बादशाह पर रंग डाल सकता था। बड़े शौक से होली मनाया जाता था।

किसने खेली सबसे पहले होली

इतिहासकार सतीश चंद्र की पुस्तक ‘मध्यकालीन भारत’ के मुताबिक 1192 में तराइन के युद्ध के बाद पहली बार दिल्ली की गद्दी पर मुस्लिम शासक बैठा। शासकों ने इस्लाम को बढ़ावा दिया और हिन्दुओं के सभी प्रमुख त्योहारों का उल्लास फीका होता गया। 1325 ईस्वी में सबसे पहले मोहम्मद बिन तुगलक होली कार्यक्रम में शामिल हुए थे। अमीर खुसरो ने होली पर ‘खेलूंगी होली, खाजा घर आये’ नाम का एक गीत भी लिखा था।

शराब से नहाते थे बाबर

1526 में मुगल बादशाह बाबर ने आगरा के किले में होली मनाई। इसका जिक्र इतिहासकार मुंशी जकीउल्ला की पुस्तक ‘तारीख-ए-हिंदुस्‍तान’ में लिखा हुआ है। बाबर ने जब देखा कि होली पर हिन्दू एक दूसरे को पटक-पटक कर रंग लगा रहे हैं तो वो हैरान रह गए। बाबर को यह पसंद आ गया और उन्होंने नहाने का कुंड ही शराब से भर दिया। सूफी कवि मलिक मोहम्मद जायसी लिखते हैं कि गांवों में होली के दिन खेत लाल हो जाते थे।

पिचकारी लेकर भागते अकबर

अकबर के शासनकाल में हिंदुओं को सभी त्योहार मनाने की छूट मिली हुई थी। ‘अकबर द ग्रेट’ पुस्तक के मुताबिक टेसू के फूल से बने गुलाल से होली खेली जाती थी। होली के अवसर पर अकबर किले से निकलकर आम लोगों से भी मिलते थे। अबुल फजल की किताब ‘आईन-ए-अकबरी’ में लिखा है कि अकबर ऐसी पिचकारियां मंगवाते थे, जिससे रंग दूर तक फैले। वो हरम में हरखा बाई समेत अन्य हिन्दू बेगमों के साथ होली खेलते थे। सभी मुग़ल बादशाहों के दौर में होली खेलने का जिक्र है, हालाँकि औरंगजेब ने इससे दूरी बना रखी थी।

 

 

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