नई दिल्ली: कांग्रेस के संकटमोचक और पिछले चार दशकों से हो रही भारतीय राजनीति के गद्दावर नेता अहमद पटेल का निधन हो गया. गांधी परिवार के बाद कांग्रेस पार्टी में सबसे ताकतवर नेता की छवि रखने वाले अहमद पटेल पिछले महीने कोरोना संक्रमित हुए थे और आज सुबह उनके शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया जिससे उनकी मौत हो गई. अहमद पटेल का निधन कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ा शोक है क्योंकि अहमद पटेल इकलौते ऐसे नेता थे जो पार्टी को हर हाल में किसी भी संकट से उबार लाने की क्षमता रखते थे. सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाकार रहे अहमद पटेल ने कई मौकों पर साबित किया कि पर्दे के पीछे होने वाले खेल के वो माहिर खिलाड़ी हैं.
महाराष्ट्र में शिवसेना को साथ लाकर सरकार बनाना हो या फिर हाल ही में राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच हुए विवाद का समाधान करना हो, इन सबमें अहमद पटेल की बड़ी भूमिका रही. पार्टी में अहमद पटेल की भूमिका ऐसे नेता की रही जो अमित शाह और नरेंद्र मोदी की चाल को भांपने और उसका जवाब देने में सक्षम थे. साल 2017 में राज्यसभा सीट को लेकर बीजेपी और कांग्रेस की टक्कर के दौरान भी अहमद पटेल अपनी कुशल रणनीति से बीजेपी को मात देने में कामयाब रहे थे जब शंकर सिंह वाघेला ने आखिरी मौके पर पार्टी छोड़ दी थी. गुजरात की तीन राज्यसभा सीटों में से एक पर स्मृति इरानी और दूसरे पर अमित शाह पहले ही जीत दर्ज कर चुके थे. आखिरी सीट भी बीजेपी हथियाना चाहती थी और अहमद पटेल को हराकर कांग्रेस को बड़ा मनोवैज्ञानिक झटका देना चाहती थी.
अहमद पटेल इस पूरी स्थिति को भांप कर बैठे थे. उन्हें लग रहा था कि क्रांस वोटिंग हुई तो वो नहीं जीत पाएंगे. वोट पड़ चुके थे और वोटों की गिनती शुरू हो चुकी थी. इसी बीच कांग्रेस ने क्रास वोटिंग करने वाले दो विधायकों राघवजी पटेल और भोला गोहिल का वोट रद्द करने की मांग की. वोटिंग रोक दी गई और इन दोनों नेताओं का वोट रद्द कर दिया गया जिससे बीजेपी का गणित बिगड़ गया और अहमद पटेल 44 वोटों के साथ राज्यसभा सीट जीत गए.