नई दिल्ली: ज्ञानवापी में व्यासुजी के तहखाने में प्रार्थना करने का आदेश जारी करने के बाद, शिकायतकर्ता शैलेन्द्र पाठक ने मजिस्ट्रेट एस. राजलिंगम से मुलाकात की और देवी-देवताओं की पूजा करने की तत्काल अनुमति मांगी. दरअसल तहखाने का प्राप्तकर्ता जिला न्यायाधीश है, और वहां मूर्तियां भूमिगत रख दी गईं और सेवा शुरू हो गई है. मूर्तियों का चयन करते समय प्रबंधन ने एएसआई की शोध रिपोर्ट मंगवाई और उसका अध्ययन किया और तुरंत मिली मूर्तियों को राजकोष के तहखाने में स्थापित कर दिया है.
एएसआई ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा कि तहखाने में हनुमान की दो, विष्णु और गणेश की एक-एक, दो शिवलिंग और एक मकर की मूर्ति मिलीं है. इन मूर्तियों के साथ 259 सामग्रियों को जिलाधिकारी की सुपुर्दगी में दिया गया था. इसे साक्ष्य के तौर पर राजकोष में रखा गया है. साथ ही जिला जज की अदालत से आदेश जारी होने के बाद वादी जिलाधिकारी के पास पहुंचे है और जिला जज के आदेश का अनुपालन कराने की मांग रखी है.
बता दें कि अफसरों को सबसे ज्यादा मशक्कत विग्रहों के चयन में करनी पड़ी है. दरअसल जिलाधिकारी की सुपुर्दगी में रखे गए विग्रहों के लिए कोषागार खोलने का भी आदेश जारी हुआ है. साथ ही इसके बाद कोषागार में रखे गए सभी 259 सामग्रियों में एएसआई की रिपोर्ट से मिलान कर 8 विग्रह अलग किए गए है, और इस बीच 2 घंटे से ज्यादा का समय लगा है. दरअसल विग्रहों को रात 11 बजे काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में लाया गया है.
दरअसल व्यासजी के तहखाने में पूजा पाठ और राग भोग के आदेश के अनुपालन के साथ प्रशासन शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए भी प्रयासरत रहा है. बता दें की काशी विश्वनाथ मंदिर में शयन आरती के श्रद्धालुओं के निकलने के बाद व्यासजी के तहखाने के रास्ते का निर्माण शुरू कराया दिया गया है. ताकि किसी तरह की नारेबाजी और अफवाह ना फैले, और काम पूरा करने के बाद प्रशासन ने पूरी जानकारी भी शेयर की है.
एस राजलिंगम, जिलाधिकारी – वादी ने न्यायालय के आदेश का अनुपालन तत्काल करने का आग्रह किया है, और विधिक सलाह के बाद प्रशासन ने जिला जज के आदेश को भी लागू किया है.