नई दिल्ली : डायबिटीज खराब जीवनशैली और खान-पान की आदतों से जुड़ी बीमारी है, जो बेहद खतरनाक हो सकती है। डायबिटीज को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता, इसलिए डॉक्टर इसे मैनेज करने पर ज्यादा जोर देते हैं। डायबिटीज दो तरह की होती है। पहली- टाइप-1 डायबिटीज और दूसरी- टाइप-2 डायबिटीज। टाइप-1 डायबिटीज में शरीर बचपन से ही इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता।
अस्वस्थ जीवनशैली के कारण होती है। भारत में दोनों तरह की डायबिटीज का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। डायबिटीज में कुछ स्थितियां इतनी खतरनाक हो सकती हैं कि मरीज कोमा में जा सकता है। ऐसे में जानें कि किस शुगर लेवल पर डायबिटीज के मरीज को कोमा में जाने का खतरा होता है और इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए।
पहले सिर्फ टाइप-2 डायबिटीज का खतरा था, लेकिन आजकल टाइप-1 डायबिटीज का खतरा भी बढ़ने लगा है। पिछले कुछ समय में यह एक गंभीर समस्या बनकर उभरी है, जिससे लाखों लोग प्रभावित हैं। लंबे समय तक इसका इलाज भी खतरनाक है। इसका मरीज कोमा में भी जा सकता है, जहां उसकी मौत भी हो सकती है।
टाइप-1 डायबिटीज़ एक क्रॉनिक बीमारी है, जो जीवन भर आपके साथ रहती है। मरीज़ को जीवन भर अपने ब्लड शुगर को नियंत्रित रखना पड़ता है। जब शरीर लंबे समय तक इस बीमारी से लड़ता है, तो नसें, आंखें और दूसरे अंग बुरी तरह प्रभावित होने लगते हैं। ब्लड शुगर के शरीर पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं, उनमें से एक है डायबिटिक कीटोएसिडोसिस, जो बहुत गंभीर है। इससे सांस लेने में तकलीफ़ हो सकती है।
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