September 11, 2024
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लिम्फेटिक फाइलेरियासिस बन सकता है विकलांगता का कारण, जल्द करें इसका निदान

  • WRITTEN BY: Manisha Shukla
  • LAST UPDATED : August 10, 2024, 10:48 pm IST

नई सरकार: भारत सरकार द्वारा लिम्फेटिक फाइलेरियासिस रोग को समाप्त करने के लिए एक अभियान शुरू किया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव गणपतराव जाधव ने लिम्फेटिक फाइलेरियासिस को समाप्त करने के लिए राष्ट्रव्यापी द्विवार्षिक सामूहिक औषधि प्रशासन अभियान शुरू किया है। दूसरा चरण वर्ष 2024 में शुरू किया गया है। अभियान बिहार, झारखंड, कर्नाटक, ओडिशा, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के 63 स्थानिक जिलों को लक्षित करेगा और स्थानिक क्षेत्रों में घर-घर जाकर निवारक दवाइयाँ उपलब्ध कराई जाएँगी।

लिम्फेटिक फाइलेरियासिस क्या है?

लिम्फेटिक फाइलेरियासिस (एलएफ), जिसे एलिफेंटियासिस के नाम से भी जाना जाता है, यह एक गंभीर और अक्षम करने वाली बीमारी है जो गंदे या प्रदूषित पानी में पनपने वाले क्यूलेक्स मच्छरों के काटने से फैलती है। संक्रमण आमतौर पर बचपन में होता है, जिससे लसीका प्रणाली को अव्यक्त क्षति होती है, जिसके लक्षण (लिम्फोएडेमा, एलिफेंटियासिस और अंडकोष की सूजन/हाइड्रोसील) जीवन में बाद में दिखाई देते हैं और स्थायी विकलांगता का कारण बन सकते हैं।

2027 तक समाप्त करने का रखा लक्ष्य

लसीका फाइलेरिया एक प्राथमिकता वाली बीमारी है जिसे 2027 तक समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में, फाइलेरिया 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 345 जिलों में रिपोर्ट किया गया है, जिसमें 8 राज्य – बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में फाइलेरिया का 90% बोझ है। भारत में लिम्फेटिक फाइलेरिया (एलएफ) को खत्म करने के लिए एक व्यापक पांच-आयामी रणनीति अपनाई गई है:

1. मिशन मोड एमडीए (मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन)

2. रुग्णता प्रबंधन और विकलांगता रोकथाम (एमएमडीपी)

3. वेक्टर नियंत्रण (निगरानी और प्रबंधन)

4. उच्च-स्तरीय वकालत

5. एलएफ के उन्मूलन के लिए अभिनव दृष्टिकोण

इस रणनीति के तहत, 138 जिलों ने एमडीए को बंद कर दिया है और ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्वे (टीएएस 1) पूरा कर लिया है, जबकि 159 जिले एमएफ 1 की दर से वार्षिक एमडीए आयोजित कर रहे हैं। 41 जिले प्री-टीएएस/टीएएस के विभिन्न चरणों में हैं, जबकि 5 जिले प्री-टीएएस में विफल रहे हैं और 2 जिलों ने 2025 तक एमडीए को स्थगित कर दिया है। 2023 तक, सभी संक्रमित जिलों से लिम्फोएडेमा के 6.19 लाख मामले और हाइड्रोसील के 1.27 लाख मामले सामने आए हैं। एमडीए अभियान इंडिया के प्रयासों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, जिसमें 2027 तक एलएफ के उन्मूलन के लिए एक उन्नत रणनीति शुरू की गई है।

सरकार ने इस बीमारी को खत्म करने के लिए रणनीति बनाई है

सरकार ने इस बीमारी को खत्म करने के लिए एक व्यापक रणनीति बनाई है, जिसमें दवाओं का वितरण, मच्छरों पर नियंत्रण और लोगों को जागरूक करना शामिल है। सरकार ने कहा है कि इस अभियान के लिए 90% लोगों का दवा लेना जरूरी है, ताकि इस बीमारी को खत्म किया जा सके। इस अभियान के तहत 63 जिलों में घर-घर जाकर दवाइयां बांटी जाएंगी और लोगों को इस बीमारी से बचाव के लिए जागरूक किया जाएगा।

सरकार ने लिम्फेटिक फाइलेरियासिस को खत्म करने के लिए एक स्पष्ट रोडमैप देते हुए एक नई गाइडलाइन और सूचना सामग्री जारी की है। सरकार ने लोगों से इस अभियान में भाग लेने और अपने परिवारों को इस बीमारी से बचाने की अपील की है। यह अभियान 10 अगस्त 2024 से शुरू हो रहा है और 6 राज्यों के 63 जिलों में चलाया जाएगा। सरकार ने कहा है कि यह अभियान लिम्फेटिक फाइलेरियासिस को खत्म करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और इससे लाखों लोगों को इस बीमारी से बचाया जा सकेगा।

लिम्फैटिक फाइलेरियासिस के कारण और लक्षण

लिम्फैटिक फाइलेरियासिस मच्छर जनित बीमारी है जो मच्छरों के काटने से फैलती है। यह बीमारी लोगों को अंग विकृति और विकलांगता से पीड़ित कर सकती है। इस बीमारी के कारण लोगों के अंग सूज जाते हैं और वे विकलांग हो जाते हैं। इस बीमारी के लक्षणों में अंगों में सूजन, दर्द और विकलांगता शामिल हैं। राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि लिम्फैटिक फाइलेरियासिस के प्रसार को रोकने के लिए मच्छरों के काटने से बचना और फाइलेरिया रोधी दवाएँ लेना जैसे निवारक उपाय महत्वपूर्ण हैं।

जो भारत के 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की आबादी को प्रभावित करता है। यह बीमारी न स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि लिम्फेडेमा के कारण आजीवन विकलांगता का कारण भी बनती है, जिसका परिवारों पर गहरा असर पड़ता है। आगामी एमडीए दौर में सफलता सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक है कि पात्र आबादी का 90% हिस्सा इन दवाओं का सेवन करे।

उन्होंने भारत में लिम्फैटिक फाइलेरियासिस को रोकने और खत्म करने के लिए समर्पित प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया। इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता (झारखंड), मंगल पांडे (बिहार), दामोदर राजनरसिम्हा (तेलंगाना), डॉ मुकेश महालिंगा (ओडिशा), जय प्रताप सिंह (उत्तर प्रदेश) और दिनेश गुंडू राव (कर्नाटक) शामिल हुए।

 

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