नई दिल्ली : इस्लाम धर्म में जन्नत को अल्लाह का घर बताया गया है.इस्लाम धर्म के मुताबिक जन्नत केवल उन लोगों को नसीब होता है.जिन्होंने जीते जी अच्छे काम किए होते है. कुरान और हदीस में जन्नत को लेकर 8 दरवाजों का जिक्र किया गया हैं.आइए जानते हैं जन्नत के इन 8 दरवाजों के बारे में.
बाब अल-सलात
बाब अल सलात के दरवाजे को नमाज दरवाजा कहा जाता हैं.नमाज दरवाजे के जरिए जन्नत में वह लोग प्रवेश करेंगे जो नियमित रूप से नमाज अदा करते हैं.नमाज़ इस्लाम के 5 स्तंभों में शामिल है.
बाब अल-जिहाद
बाब अल-जिहाद को (जिहाद का दरवाजा) कहते हैं.यह दरवाजा उन लोगों के लिए है. जिन मुसलमानों ने अल्लाह के रास्ते पर चलकर जिहाद को अपनाया.जिहाद का मतलब केवल युद्ध में शामिल होना नहीं है.बल्कि अल्लाह की राह में चलकर सभी तरह के कठिनाई और मुसीबत का सामना करना शामिल है।
बाब अस्-सदाकाह
इस्लाम धर्म में जन्नत के तीसरे दरवाजे का नाम बाब अस-सदाकाह है.इसे दान का दरवाजा भी कहते है.इस दरवाजे में वो लोग प्रवेश करते है.जो जरूरतमंदों की मदद करते हैं. दान देते हैं.इस्लाम धर्म में दान देना सुन्नत का काम होता है.
बाब अर-रय्यान
बाब अर-रय्यान का जन्नत का चौथा दरवाजा है जिसे रोजे का दरवाजा कहते हैं.जन्नत के इस दरवाजे में वह लोग प्रवेश करते है.जिन्होंने रमजान के दिनों में रोजा रखा था. रोजा रखना इस्लाम में सुन्नत का काम है. ये अल्लाह की इबादत करने का तरीका है.
बाब अल-हज्ज
बाब अल-हज्ज जन्नत का पांचवां दरवाजा है.इसे हज का दरवाजा कहते है.हज करने से अल्लाह खुश होते हैं.
बाब अल-काज़िमिन अल-घैज़ वाल-आफीन अनिन-नास
बाब अल-काज़िमिन अल-घैज़ वाल-आफीन अनिन-नास जन्नत का छठा दरवाजा है.गुस्से में काबू को रखने वाले और दूसरों के गलतीयों को माफ करने वाले इसी दरवाजे के जरिए जन्नत में प्रवेश करते हैं.अल्लाह कहते हैं कि जिसने अपने गुस्से को काबू में रखना सीख लिया वह मेरे सबसे करीब है.
बाब अल-सब्र
बाब अल-सब्र का जन्नत का सातवां दरवाजा है.इस दरवाजे से वह लोग जन्नत में प्रवेश करेंगे जिन्होंने मुसीबत के दौरान अल्लाह पर भरोसा और सब्र किया.इस्लाम धर्म में सब्र रखना बेहद जरूरी है.
बाब अल-सादिकीन
बाब अल-सादिकीन जन्नत का आठवां दरवाजा है इस दरवाजे में केवल वह लोग जन्नत में प्रवेश करेंगे जो हमेशा सच बोलते हैं.सच बोलना इस्लाम धर्म का महत्वपूर्ण मूल्य जिसे प्रत्येक मुसलमान को मानना अनिवार्य होता है.