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इंसान के अस्तित्व को खतरा! बढ़ती गर्मी बनेगी एक बड़ी बीमारी की वजह, वैज्ञानिक की चेतावनी

Trending News: एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट ने ऐसी आपदा की चेतावनी दी है जो धरती से मानव जाति का अस्तित्व खत्म कर सकती है। आणविक माइक्रोबायोलॉजी, इम्यूनोलॉजी और संक्रामक रोगों के प्रोफेसर आर्टुरो कैसाडेवाल के अनुसार, धरती पर आखिरी इंसान का होना कोई कल्पना नहीं है, बल्कि यह सच हो सकता है। उन्होंने बताया कि फफूंद (फंगस) […]

Threat to human existence Increasing heat cause of major disease
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  • Last Updated: June 24, 2024 17:06:19 IST

Trending News: एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट ने ऐसी आपदा की चेतावनी दी है जो धरती से मानव जाति का अस्तित्व खत्म कर सकती है। आणविक माइक्रोबायोलॉजी, इम्यूनोलॉजी और संक्रामक रोगों के प्रोफेसर आर्टुरो कैसाडेवाल के अनुसार, धरती पर आखिरी इंसान का होना कोई कल्पना नहीं है, बल्कि यह सच हो सकता है। उन्होंने बताया कि फफूंद (फंगस) एक महामारी ला सकता है और मानव जाति को मिटा सकता है। अमेरिका के बाल्टीमोर में जॉन्स हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में काम करने वाले 67 वर्षीय प्रोफेसर कैसाडेवाल ने कहा, फफूंद मानवता के लिए एक वास्तविक खतरा हैं।

इंसान बन सकता है जॉम्बी?

लगभग 1000 वैज्ञानिक शोधपत्र लिख चुके प्रोफेसर कैसाडेवाल की नई किताब ‘व्हाट इफ फंगी विन?’ में फंगस के कारण महामारी होने की वास्तविक संभावना पर चर्चा की गई है। उन्होंने कहा, धरती पर आखिरी इंसान जैसा दृश्य असंभव नहीं है। हालांकि, अभी हम किसी ऐसे फंगस के बारे में नहीं जानते हैं जो किसी इंसान को जॉम्बी में बदल सकता है।

बढ़ता तापमान: एक बड़ा खतरा

डेली स्टार ने अपनी रिपोर्ट में प्रोफेसर कैसाडेवाल के हवाले से कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम समय के साथ खतरनाक नए फंगस देख सकते हैं। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण फफूंद मानव जाति के लिए नई बीमारियां ला सकता है। तापमान बढ़ने से हमारे पर्यावरण में हर चीज प्रभावित हो रही है।

फंगस का बढ़ता खतरा

प्रोफेसर ने दावा किया कि इस बात के बढ़ते प्रमाण हैं कि कुछ फफूंदों में नई बीमारियां फैलाने की क्षमता है जो अभूतपूर्व तरीके से इंसानों को नुकसान पहुंचाएंगी। उन्होंने कहा कि अगर फंगस उच्च तापमान में पलने के अनुकूल हो जाता है, तो यह हमारी सुरक्षा को तोड़ देगा। यही सबसे बड़ा डर है। फंगस में म्यूटेशन के सबूत पहले से ही मौजूद हैं। साल 2007 में जापान में एक व्यक्ति के कान में कैंडिडा ऑरिस नाम का फंगस पाया गया था। 2007 के पहले तक यह वैज्ञानिकों के लिए अज्ञात था।

 

 

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