ETS ह्यूमन प्रोग्रेस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अपनी शिक्षा व्यवस्था को लेकर काफी आशावादी है, जबकि दुनिया के अन्य देशों में लोग अपने देश की शिक्षा व्यवस्था से निराश हैं। यह रिपोर्ट 18 देशों के 1,80,000 लोगों पर किए गए अध्ययन पर आधारित है।
नई दिल्ली : भारत में शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे निरंतर प्रयासों के कारण लोगों का शिक्षा व्यवस्था पर भरोसा बढ़ रहा है। एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि शिक्षा और सामाजिक-आर्थिक गतिशीलता के मामले में भारत दुनिया के सबसे आशावादी देशों में से एक बनकर उभरा है। 70 प्रतिशत लोगों ने भारत की शिक्षा व्यवस्था और सामाजिक-आर्थिक गतिशीलता पर भरोसा जताया है, जबकि वैश्विक स्तर पर केवल 30 प्रतिशत लोग ही अपने देश की शिक्षा व्यवस्था को लेकर आशावादी हैं।
एजुकेशनल टेस्टिंग सर्विस (ETS) ह्यूमन प्रोग्रेस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अपनी शिक्षा व्यवस्था को लेकर काफी आशावादी है, जबकि दुनिया के अन्य देशों में लोग अपने देश की शिक्षा व्यवस्था से निराश हैं। यह रिपोर्ट 18 देशों के 1,80,000 लोगों पर किए गए अध्ययन पर आधारित है। भविष्य में और सुधार का भरोसा इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में केवल 30 प्रतिशत लोगों ने अपने देश की मौजूदा शिक्षा व्यवस्था में सुधार की उम्मीद जताई है।
इस अध्ययन में शामिल 70 प्रतिशत भारतीयों ने अपने देश की शिक्षा व्यवस्था को लेकर सकारात्मक रुख अपनाया। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भारत में 76 प्रतिशत लोगों ने 2035 तक अपने देश की मौजूदा शिक्षा प्रणाली में और सुधार होने का भरोसा जताया है, जबकि वैश्विक स्तर पर 64 प्रतिशत लोगों ने अपने देश की शिक्षा प्रणाली में भरोसा जताया है।
यह रिपोर्ट भारत की शिक्षा प्रणाली में मौजूदा चुनौतियों पर भी ध्यान केंद्रित करती है। इसमें कहा गया है कि भारत में शिक्षा तक पहुँच और शिक्षकों की कमी मुख्य चुनौतियाँ बनी हुई हैं। अध्ययन में शामिल कई लोगों ने भारत की शिक्षा प्रणाली में फैली चुनौतियों को भी स्वीकार किया है। 84 प्रतिशत लोगों ने माना है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच अभी भी मुश्किल है। वहीं, 78 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि शिक्षा के अवसर कुछ विशेषाधिकार प्राप्त समूहों तक ही सीमित हैं। इसके अलावा 74 प्रतिशत ने शिक्षकों की कमी की ओर इशारा किया है।
भले ही भारतीयों का शिक्षा प्रणाली और सामाजिक-आर्थिक गतिशीलता पर भरोसा बढ़ा है, लेकिन आर्थिक बाधाएं और रोज़गार के अवसरों की कमी एक समस्या बनी हुई है। अध्ययन में 40 प्रतिशत भारतीयों ने रोज़गार की कमी को एक बड़ी समस्या बताया, जबकि वैश्विक औसत 34 प्रतिशत था। वहीं, भारत में 33 फीसदी लोग महंगी शिक्षा को बड़ा मुद्दा मानते हैं, जबकि दुनिया में यह आंकड़ा सिर्फ 28 फीसदी है।
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